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थेवा कला पर प्रकाशित पुस्तक का राज्यपाल द्वारा विमोचन

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर के पदेन अध्यक्ष राज्यपाल श्रीमती मार्ग्रेट अल्वा ने गुरूवार दिनांक 19 जुलाई 2012 को पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र द्वारा प्रलेखन योजना के अंतर्गत प्रकाशित पुस्तकों ‘‘थेवा कला’’ तथा ‘‘वॉल पेन्टिंग्स ऑफ चारोतर’’ का विमोचन किया। राजस्थान के सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के सेवानिवृत तथा स्वतंत्र पत्रकार श्री नटवर त्रिपाठी द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘थेवा कला’’ में प्रतापगढ़ की विश्व प्रसिद्ध थेवा कला पर सचित्र उपयोगी जानकारी दर्शाई गई है। इस पुस्तक में थेवा शिल्पकारों से लिए गए साक्षात्कार के माध्यम से थेवा शिल्प सृजन तकनीक तथा उन कलाकारों की उपलब्धियों को उल्लिखित किया गया है। अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त इस शिल्पकला पर यह अपने प्रकार का प्रथम प्रकाशन है। पुस्तक के संदर्भ में प्रस्तुत की गई लघु फिल्म में बताया गया कि यह कला लगभग 400 वर्ष पुरानी है। इस कला के 12 शिल्पकारों को आज तक राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत किया जा चुका है। इनमें से 9 शिल्पकार प्रतापगढ के राज सोनी परिवार के हैं। शिल्पकार जगदीश राजसोनी को दो बार राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित कर उन्हें ’’शिल्प गुरु’’ की उपाधि से भी सम्मानित किया गया है। थेवा कला में शुद्ध सोने का प्रयोग किया जाता है। सोने के पत्रे पर बारीक चित्रकारी को थेवा कला कहा जाता है। इस पुस्तक में 125 चित्रों का समावेश किया गया है जिसमें तत्कालीन राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के कर कमलों से शिल्पियों को पुरस्कार देते हुए तथा शिल्पकला के नायाब नमूने भेंट करते हुए दर्शाया गया है। इसके अतिरिक्त पुस्तकें में शिल्प धरोहर, सामन्ती पोषण, कलात्मक विशिष्ठता, रचना प्रक्रिया, शिल्पियों का कलात्मक संसार तथा महिलाओं की भागीदारी आदि विषयों पर विस्तृत वर्णन किया गया है। राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित प्रत्येक शिल्पी के साथ-साथ मध्यप्रदेश के रामपुरा ग्राम के रामचन्द्र और उनके दो पुत्र गणपत तथा महेश सोनी के साथ-साथ प्रतापगढ के स्व. रामप्रसाद, स्व. शंकरलाल, स्व. वेणीराम, स्व. रामविलास, जगदीश लाल, बसन्तलाल, रामनिवास तथा महेश सोनी की कलात्मक विशिष्ठताओं का उल्लेख भी किया गया है।

केन्द्र द्वारा ही प्रलेखन योजना में गुजरात की भित्ति चित्र कला "चारोतर" पर सचित्र पुस्तक का प्रकाशन किया गया है। गुजरात के कला मर्मज्ञ श्री प्रदीप झवेरी तथा श्री कनु पटेल द्वारा रचित इस पुस्तक में भित्ति चित्रों की जानकारी का सुंदर वर्णन किया गया है।

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