Skip to main content

Posts

Showing posts with the label राजस्थान का भूगोल

Monsoon and other winds in India | भारत में मानसून एवं अन्य पवने

भारत में मानसून Monsoon and other winds in India- हाइड्रोलोजी में मानसून का व्यापक अर्थ है- ''कोई भी ऐसी पवन जो किसी क्षेत्र में किसी ऋतु-विशेष में ही अधिकांश वर्षा कराती है।''   मानसून हवाओं का अर्थ अधिकांश समय वर्षा कराने से नहीं लिया जाना चाहिये। इस परिभाषा की दृष्टि से संसार के अन्य क्षेत्र, जैसे- उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, उप-सहारा अफ़्रीका, आस्ट्रेलिया एवं पूर्वी एशिया को भी मानसून क्षेत्र की श्रेणी में रखा जा सकता है।  मानसून पूरी तरह से हवाओं के बहाव पर निर्भर करता है। आम हवाएं जब अपनी दिशा बदल लेती हैं तब मानसून आता है।.जब ये हवाएं ठंडे से गर्म क्षेत्रों की तरफ प्रवाहित होती हैं तो उनमें नमी की मात्रा बढ़ जाती है, जिसके कारण वर्षा होती है। मानसून से अभिप्राय ऐसी जलवायु से है, जिसमें ऋतु के अनुसार पवनों की दिशा में उत्क्रमण हो जाता है। भारत की जलवायु उष्ण मानसूनी है, जो दक्षिणी एवं दक्षिणी-पूर्वी एशिया में पाई जाती है। अंग्रेज़ी शब्द मानसून पुर्तगाली शब्द 'मॉन्सैओ' से निकला है, जिसका मूल उद्गम अरबी शब्द मॉवसिम (मौसम) से आया है।

भू अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम- ई-धरती

पूर्व में यह भू अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम था जिसे अब ई-धरती (DILRMP) डिजिटल इण्डिया भू-अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम का नाम दिया गया है।  यह 2008 में भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया था।  DILRMP का मुख्य उद्देश्य शीर्षक गारंटी के साथ निर्णायक भूमि-शीर्षक प्रणाली को लागू करने के उद्देश्य से देश में एक आधुनिक, व्यापक और पारदर्शी भूमि अभिलेख प्रबंधन प्रणाली विकसित करना है।  यह कार्यक्रम राज्य के समस्त भू-अभिलेख को एक्यूरेट एवं रियल-टाईम कर कम्प्यूटराईज्ड प्रतियां आम जनता को सुलभ कराने के उद्देश्य से विचारित किया गया है। केन्द्र सरकार द्वारा संचालित ई-धरती कार्यक्रम के तहत समस्त भू अभिलेख नये सिरे से तैयार किये जावेगें।  यह कार्यक्रम अभिलेख (textual) एवं नक्शा (spatial) भू-अभिलेख एवं राजस्व एवं पंजीयन प्रणाली के अर्न्तयुग्मन (integration) के द्वारा वर्तमान डीड-प्रणाली (deed-systems) के स्थान पर कन्क्लुजीव टाईटलिंग की अभिशंषा करता है ताकि नागरिक अधिकार-अभिलेख की आदिनांकित प्रति एवं नक्शों की प्रति एकल खिड़की से प्राप्त कर सके। उद्देश्य- डिजिटल इण्डिया भू-अभिलेख

Sheep in Rajasthan - राजस्थान में भेड़ पशु संसाधन

1.  चोकला  भेड़ (Chokla Sheep) - अन्य नाम (Other names)- छापर, शेखावटी व राता मुंडा (Chhaper, Shekhawati and Raata Munda.) स्थान (Location)- नागौर, सीकर, चूरू (Nagaur, Sikar, Churu)   प्रजनन भूभाग ( Breeding Tract) -   चुरू, नागौर, सीकर और जिलों के संगम पर एक सीमित क्षेत्र।   A limited area at the juncture of Churu, Nagaur, and Sikar districts.   मुख्य उपयोगिता (Main Use) - ऊन व मांस Wool, Meat   उद्गम (Origin)-   शेखावटी और छापर का नाम इसके वितरण क्षेत्र शेखावटी व छापर के नाम से लिया गया है जबकि राता मुंडा 😡 नाम काले भूरे रंग के चेहरे आधार पर है।   (The name Shekhawati and Chhappar are derived from the name of its distribution area whereas Raata munda stands for dark brown coloured face.) रंग (Colour) -  इसका रंग श्वेत होता है। इसके चेहरे का रंग लाल (राता मुंडा) होता है और यह रंग गर्दन तक हो सकता है। (The coat colour is white. The face colour is dark brown (Raata Munda), and the colour may extend upto middle of neck.) सींग की आकृति