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राजस्थान मदरसा बोर्ड की उपलब्धियाँ

1. मदरसों का पंजीकरण- मदरसा बोर्ड का गठन जनवरी, 2003 में किया गया। उस समय इसमें कुल 1635 मदरसे वक्फ बोर्ड से स्थानांतरित होकर आए। मदरसा बोर्ड के गठन से लेकर अब तक कुल 3025 मदरसों का पंजीकरण किया गया है। 2. नियुक्तियां- हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, सामाजिक ज्ञान विषय की प्रारंभिक स्तर की स्कूली शिक्षा की व्यवस्था के लिए बोर्ड द्वारा शिक्षा सहयोगियों की नियुक्ति की गई है। इसके अंतर्गत वर्तमान में 1793 शिक्षा सहयोगी बोर्ड के द्वारा पंजीकृत मदरसों में कार्यरत हैं। सरकार की घोषणा के अनुरूप मदरसों में 3500 शिक्षा सहयोगियों की भर्ती की प्रक्रिया जारी है तथा अब तक 1870 शिक्षा सहयोगियों को मदरसा आवंटन किया जा चुका है। 3. कंप्यूटर शिक्षा- मदरसों में कंप्यूटर शिक्षा हेतु राज्य सरकार द्वारा 500 कंप्यूटर शिक्षा सहयोगियों के पदों का सृजन किया है, अब तक 487 कंप्यूटर शिक्षा सहयोगियों की नियुक्ति की जा चुकी है। 4. कक्षा आठ तक क्रमोन्नति- मुख्यमंत्री की घोषणा वर्ष 2009-10 के क्रम में मदरसा शिक्षा को कक्षा 8 तक क्रमोन्नति संबंधी आदेश राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए है। इसके अंतर्गत 251 मदरसों

राजस्थान मदरसा बोर्ड-1

"हर घर में इल्म की शमा रोशन करेंगे" के नारे के साथ अपने उद्देश्य को उद्घाटित करते राजस्थान मदरसा बोर्ड का मुख्यालय जयपुर में राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक मण्डल के झालाना संस्थानिक क्षेत्र के भवन में ही स्थित है। इसके वर्तमान अध्यक्ष मौलाना मौहम्मद फज्ले-हक़ हैं जिन्हें सरकार द्वारा राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया है। राजस्थान में मदरसा शिक्षा का ऐतिहासिक परिपेक्ष्य:- मदरसे मुस्लिम समुदाय की धार्मिक शिक्षा के परम्परागत केन्द्र रहे हैं। बड़ी संख्या में मुस्लिम बच्चे इन मदरसों में तालीम (शिक्षा) हासिल करते रहे हैं। प्रारंभ में दीनी (धार्मिक) तथा दुनियावी दोनों प्रकार की तालीम हुआ करती थी। परन्तु 1857 के पश्चात् उत्पन्न राजनीतिक एवं सामाजिक पारिस्थितियों में ये मदरसे आधुनिक शिक्षा की पहुंच से दूर होते चले गए। नतीजतन इन मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे केवल दीन की तालीम तक ही सीमित रहे। दीन की तालीम के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा की जरूरत एवं अहमियत को आजादी के बाद शिद्दत से महसूस किया जाने लगा। आइन (संविधान) में मुल्क के हर बच्चे को नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा की बात कही गई है एवं इसमें