Skip to main content

Kaun tha Hashmat Wala Raja Rao Maldev - कौन था हशमत वाला राजा राव मालदेव

राव मालदेव राठौड़ का इतिहास | History of Rao Maldev Rathod (मालदेओ राठौड़ इतिहास)


 

  • राव मालदेव का जन्म 5 दिसंबर 1511 को हुआ था । वह अपने पिता राव गांगा को मारकर 5 जून, 1532 को जोधपुर के राज्य सिंहासन पर आसीन हुए थे । इसलिए इसे पितृहंता शासक कहते हैं। जिस समय राव मालदेव ने गद्दी संभाली, उस समय दिल्ली के शासक मुगल बादशाह हुमायूँ थे ।

  • राव मालदेव की माँ का नाम रानी पद्मा कुमारी था जो सिरोही के देवड़ा शासक जगमाल की पुत्री थी ।

    जैसलमेर के शासक राव लूणकरण की पुत्री उमादे से राव मालदेव का विवाह हुआ था । रानी उमादे विवाह की प्रथम रात्रि को ही अपने पति से रूठ गई और आजीवन उनसे रूठी रही । इस कारण उमादे इतिहास में रूठी रानी के नाम से प्रसिद्ध हो गई । राव मालदेव की मृत्यु होने पर रानी उमादे सती हो गई ।

  • मालदेव के राज्याभिषेक के समय जोधपुर और सोजत परगने ही उनके अधीन थे। वीर और महत्वाकांक्षी राव मालदेव ने शासन संभालते ही राज्य प्रसार का प्रसार करने पर ध्यान केंद्रित किया और जल्दी ही उन्होंने सींधल वीरा को परास्त कर भाद्राजूण पर अधिकार कर लिया। साथ ही फलौदी को जैसलमेर के भाटी शासकों से छीन लिया। 

  • उसने मेड़ता के स्वामी वीरमदेव को मेड़ता से निकाल दिया और मेड़ता पर आधिपत्य कर लिया और इसके बाद अजमेर पर भी अधिकार कर लिया।  राव मालदेव ने नागौर के दौलत खान को हरा कर उसे अपने अधिकार में कर लिया ।

  • मालदेव ने 20 जून, 1538 को सिवाणा के डूँगरसी राठौड़ को परास्त करके सिवाणा के किले जीत लिया तथा जोधपुर की तरफ से सिवाणा का किलेदार मांगलिया देवा को नियुक्त किया गया ।

  • मालदेव ने जालौर पर भी अधिकार कर लिया व वहाँ के स्वामी सिकंदर खाँ को दुनाड़ा में कैद कर लिया । सिकंदर खाँ की मृत्यु कैद में रहते वक्त ही हो गई ।

  • पाहेबा का युद्ध- राव मालदेव ने बीकानेर पर आक्रमण किया और बीकानेर शासक राव जैतसी को हराकर बीकानेर पर आधिपत्य किया । यह युद्ध पाहेबा या साहेबा (सूवा) नामक गाँव में हुआ था । राव जैतसी इस युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुआ । बीकानेर के विरुद्ध युद्ध करने के लिए मालदेव ने कूंपा की अध्यक्षता में सेना भेजी थी ।

  • शीघ्र ही उसने डीडवाना तथा टोंक पर भी अधिकार कर लिया । 

  • मालदेव ने मेवाड़ में दासी पुत्र बनवीर को हटाकर महाराणा उदयसिंह को चित्तौड़ की राजगद्दी पर आसीन करने में पूर्ण सहयोग किया था ।

  • शेरशाह सूरी ने चौसा (बिहार) नामक स्थान पर हुए युद्ध में 26 जून 1539 को मुगल बादशाह हुमायूं को परास्त कर दिया तथा  दूसरी बार 17 मई 1540 को उसे कन्नौज के युद्ध में हरा दिया, इस कारण हुमायूं सिंध की तरफ चला गया एवं शेरशाह सूरी दिल्ली की गद्दी पर अपना अधिकार कर लिया ।

  • मालदेव से विभिन्न राजपूत राजा विभिन्न कारणों से नाराज थे और वे शेरशाह सूरी को मालदेव के विरुद्ध भड़काते रहते थे-

  1. वीरमदेव मेड़ता व अजमेर पर राव मालदेव का अधिकार होने तथा राठौड़ वरसिंह के पौत्र सहसा को रीयां की जागीर देने से नाराज था । 
  2. राव जैतसी का पुत्र कल्याणमल बीकानेर पर अधिकार कर लेने से नाराज था ।

गिरी सुमेल- जैतारण का युद्ध :-

  • 5 जनवरी 1544 को वर्तमान में पाली जिले में स्थित जैतारण के समीप 'गिरी सुमेल' नामक स्थान पर राव मालदेव व शेरशाह के मध्य युद्ध हुआ। इस युद्ध में बीकानेर के राव कल्याणमल ने शेरशाह सूरी का साथ दिया। शेरशाह ने सेनापति जलाल खाँ जलवानी की सहायता से मारवाड़ पर विजय प्राप्त की ।
  • इस युद्ध के बारे में तारीखे फरीश्ता‘ में फरिश्ता ने लिखा कि शेरशाह ने कहा था ‘खुदा का शुक्र है कि किसी तरह फतह हासिल हो गई , वरना मुट्ठी भर बाजरे के लिए मैनें हिंदुस्तान की बादशाहत खो दी होती ।’ इस युद्ध में मालदेव के सबसे वीर सेनानायक 'जैता और कूँपा' वीरगति को प्राप्त हो गए । गिरी सुमेल का युद्ध मारवाड़ के भाग्य के लिए निर्णायक युद्ध था ।
  • विजय के बाद शेरशाह ने वीरमदेव को मेड़ता एवं राव कल्याणमल को बीकानेर का राज्य सौंप दिया । तत्पश्चात शेरशाह ने अजमेर पर भी अधिकार कर लिया तथा इस लड़ाई में किलेदार शंकर लड़ाई में मारा गया । शेरशाह ने जोधपुर के दुर्ग पर आक्रमण कर वहां का प्रबंध खवास खाँ को सौपा । खवास खाँ की क्रब जोधपुर में खवासखाँ ( खासगा) पीर की दरगाह के नाम से प्रसिद्ध है । शेरशाह ने मेहरानगढ़ में मस्जिद बनवाई । राव मालदेव पाती नामक गांव में रहा ।
  • शेरशाह की 22 मई 1945 को कालिंजर में मृत्यु हो गई । शेरशाह की मौत की खबर मिलते ही मालदेव ने 1545 में जोधपुर पर पुन: अधिकार कर लिया ।
  • राव मालदेव ने अपने ज्येष्ठ पुत्र रावराम को राज्य से निर्वासित कर दिया । रावराम भटियानी रानी उमादे के साथ गूंदोज (पाली) चला गया । उमादे रावराम को अपना दत्तक पुत्र मानती थी ।
  • राव मालदेव अपनी झाली रानी स्वरूप दे पर विशेष प्रेम करता था । अपनी इसी रानी के कहने पर जेष्ठ पुत्र राम के रहते हुए भी उसने अपने पुत्र चंद्रसेन को राज्य देने का निश्चय किया तथा चंद्रसेन को उत्तराधिकारी घोषित कर दिया ।
  • राठौड़ नगा व बीदा के नेतृत्व में सेना भेजकर मालदेव ने पोकरण तथा फलौदी पर अधिकार कर लिया, किन्तु पठान मलिक खाँ ने उन्हें हराकर जालौर पर अधिकार किया । 
  • इसके अतिरिक्त मेड़ता के वीरमदेव का उत्तराधिकारी राव जयमल से हुए युद्ध में भी राव मालदेव परास्त हो गया । इस युद्ध में बीकानेर के राव कल्याण सिंह ने मेड़ता के जयमल की मदद की थी ।
  • सन् 1557 में राव मालदेव ने जयमल से मेड़ता पुनः छुड़वाया लिया और वहाँ मालकोट बनाया। 
  • 1562 ई. में अकबर ने मेड़ता पर अधिकार कर लिया।
  • राव मालदेव की मृत्यु 7 नवंबर 1562 को हुई ।
  • फारसी इतिहासकार फरिश्ता ने राव मालदेव को हशमत वाला राजा (The Most Potent Ruler of Hindustan) कहा है । 
  • बदायूनी – मालदेव को ‘भारत का महान् पुरूषार्थी राजकुमार’ बताता हैं।
  • राव मालदेव को 52 युद्धों का नायक तथा 58 परगनों के रूप में प्रतिष्ठित माना गया ।
  • मालदेव ने अपनी पुत्री 'कनका बाई' का विवाह सूर शासक इस्लाम शाह सूर से करवाकर मुस्लिम शासकों से वैवाहिक संबंध स्थापित किए ।

राव मालदेव निर्मित महत्वपूर्ण स्थल :-

  1. राणीसर तालाब का कोट
  2. पोकरण का किला
  3. सोजत, रायपुर , गूंदोज, भाद्राजूण, रीयां, सिवाणा, पीपाड़, नाडोल , कुण्डल , फलोदी, दुनाड़ा और मेड़ता में किले ।
  4. तारागढ़, अजमेर के पास के नूरचश्मे की तरफ के बुर्ज एवं बींठली का किले का निर्माण तथा नूरचश्मे से हौजों व रहटों के द्वारा पानी ऊपर पहुंचाने का प्रबंध किया ।
  5. राव मालदेव की रानी झाली स्वरूप देवी ने ‘स्वरूप सागर’ नामक तालाब बनवाया था । यह तालाब ‘बहूजी’ के तालाब के नाम से प्रसिद्ध है ।

राव मालदेव कालीन साहित्य :-

राव मालदेव द्वारा साहित्यकारों, कवियों व चारणों को अत्यंत सरंक्षण प्राप्त हुआ था । उसके शासनकाल में ‘आसिया के दोहे’, ‘आशा बारहठ के गीत’, ‘ईसरदास के सोरठे’, ‘रतनसिंह री वेली’, ‘जिन रात्रि कथा’ आदि कई महत्वपूर्ण साहित्य ग्रंथ लिखे गए । उसके काल में संस्कृत भाषा में ‘लघुस्तवराज’ की रचना भी हुई थी ।

  • राव मालदेव के कितने पुत्र थे?

उत्तर- 'जोधपुर राज्य की ख्यात' में राव मालदेव की 25 रानियों और 12 पुत्रों के नाम मिलते हैं।
  • राव मालदेव की छतरी कहाँ स्थित है?

उत्तर- जोधपुर के मंडोर उद्यान में राव मालदेव के देवल का निर्माण जोधपुर के राव मालदेव के पांचवे पुत्र मोटाराजा उदयसिंह ने संवत् 1647 में करवाया था। मालदेव की यह छतरी शिखरबद्ध है। इसके मण्डोवर भाग पर चारों ओर देव प्रतिमाओं की ताकें है किन्तु उन ताकों पर देवताओं की प्रतिमाएं विद्यमान नहीं है। गर्भगृह में भी कोई प्रतिमा नहीं है।

  • राव मालदेव की माता का नाम क्या था ?

उत्तर - राव मालदेव की माँ का नाम रानी पद्मा कुमारी था जो सिरोही के देवड़ा शासक जगमाल की पुत्री थी ।

  • राव मालदेव के पिता का नाम क्या था ?

उत्तर- राव मालदेव के पिता का नाम राव गंगा था । 

  • राव मालदेव का राज्याभिषेक कहाँ हुआ?

उत्तर- राव मालदेव अपने पिता राव गांगा की हत्या करके 5 जून, 1532 को जोधपुर की गद्दी पर बैठा। उसका राज्याभिषेक सोजत में सम्पन्न हुआ। 

  • मालदेव की उपाधियाँ  क्या क्या हैं? 

    उत्तर -

    • हिन्दू बादशाह

    • हशमत वाला राजा

  • मालदेव के दरबारी विद्वान कौन कौन थे?

 ईसरदास- (1) हाला झाला री कुडंलिया (सूर सतसई) (2) देवीयाण (3) हरिरस   

आशानन्द- (1) बाघा भारमली रा दूहा (2) उमादे भटियाणी रा कवित।

Comments

Popular posts from this blog

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋत...

THE SCHEDULED AREAS Villages of Udaipur district - अनुसूचित क्षेत्र में उदयपुर जिले के गाँव

अनुसूचित क्षेत्र में उदयपुर जिले के गाँव- अनुसूचित क्षेत्र में सम्मिलित उदयपुर जिले की 8 पूर्ण तहसीलें एवं तहसील गिर्वा के 252, तहसील वल्लभनगर के 22 व तहसील मावली के 4 गांव सम्मिलित किए गए हैं। ये निम्नानुसार है- 1. उदयपुर जिले की 8 पूर्ण तहसीलें (कोटड़ा, झाडोल, सराड़ा, लसाड़िया, सलूम्बर, खेरवाड़ा, ऋषभदेव, गोगुन्दा) - 2. गिर्वा तहसील (आंशिक) के 252 गाँव - S. No. GP Name Village Name Village Code Total Population Total Population ST % of S.T. Pop to Total Pop 1 AMBERI AMBERI 106411 3394 1839 54.18 2 AMBERI BHEELON KA BEDLA 106413 589 573 97.28 3 AMBERI OTON KA GURHA 106426 269 36 13.38 4 AMBERI PRATAPPURA 106427 922 565 61.28 5 CHEERWA CHEERWA 106408 1271 0 0.00 6 CHEERWA KARELON KA GURHA 106410 568 402 70.77 7 CHEERWA MOHANPURA 106407 335 313 93.43 8 CHEERWA SARE 106406 2352 1513 64.33 9 CHEERWA SHIVPURI 106409 640 596 93.13 10 DHAR BADANGA 106519 1243 1243 100.00 11 DHAR BANADIYA 106...

Scheduled Areas of State of Rajasthan - राजस्थान के अनुसूचित क्षेत्र का विवरण

राजस्थान के अनुसूचित क्षेत्र का विवरण (जनगणना 2011 के अनुसार)-   अधिसूचना 19 मई 2018 के अनुसार राजस्थान के दक्षिण पूर्ण में स्थित 8 जिलों की 31 तहसीलों को मिलाकर अनुसूचित क्षेत्र निर्मित किया गया है, जिसमें जनजातियों का सघन आवास है। 2011 की जनगणना अनुसार इस अनुसूचित क्षेत्र की जनसंख्या 64.63 लाख है, जिसमें जनजाति जनसंख्या 45.51 लाख है। जो इस क्षेत्र की जनसंख्या का 70.42 प्रतिशत हैं। इस क्षेत्र में आवासित जनजातियों में भील, मीणा, गरासिया व डामोर प्रमुख है। सहरिया आदिम जाति क्षेत्र- राज्य की एक मात्र आदिम जाति सहरिया है जो बांरा जिले की किशनगंज एवं शाहबाद तहसीलों में निवास करती है। उक्त दोनों ही तहसीलों के क्षेत्रों को सहरिया क्षेत्र में सम्मिलित किया जाकर सहरिया वर्ग के विकास के लिये सहरिया विकास समिति का गठन किया गया है। क्षेत्र की कुल जनसंख्या 2.73 लाख है जिसमें से सहरिया क्षेत्र की अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 1.02 लाख है जो क्षेत्र की कुल जनसंख्या का 37.44 प्रतिशत है।  अनुसूचित क्षेत्र में राजकीय सेवाओं में आरक्षण सम्बन्धित प्रावधान-  कार्मिक (क-...