Skip to main content

Rajasthan's Folk Saint Dhanna ji -राजस्थान में धार्मिक आंदोलन के प्रवर्तक संत धन्नाजी

राजस्थान में भक्ति मार्ग परंपरा में संत धन्ना का महत्वपूर्ण स्थान है। तत्कालीन समाज के धार्मिक जीवन को नया मोड़ देने में जाट भक्त धन्ना ने अभूतपूर्व योगदान किया था। कहा जाता है कि राजस्थान में धार्मिक आंदोलन की शुरुआत करने वाले संत धन्ना ही थे।
नाभादास के 'भक्तमाल' और 'धन्ना री परची' से पता लगता है कि वे रामानंद के शिष्य थे। संत धन्ना का जन्म राजस्थान के टौंक जिले के धुवन गाँव में वि. सं. 1472 अर्थात सन् 1415 ई. में एक जाट परिवार में हुआ था। धन्ना की बचपन ईश्वर में प्रवृत्ति थी तथा मन भक्ति भाव से ओतप्रोत था। शनैः शनैः उनकी धार्मिक प्रवृत्ति बढ़ती गई और बनारस जाकर वे रामानंद के शिष्य बन गए। रामानंद इनको घर पर ही ईश्वर भक्ति करने, साधु-संतों की सेवा करने तथा ईश्वर, गुरु और साधु को एक मान कर पूजने तथा दूसरा कोई विचार मन में नहीं लाने का आदेश दिया।
धन्ना जाट जाति के किसान परिवार के थे। उनके एक पद 'धन्ना री आरती' के अनुसार वे एक ग्रहस्थ थे। वे पैतृक व्यवसाय कृषि करते हुए तथा ग्रहस्थ-जीवन में रह कर ही अलौकिक शक्ति प्राप्त करने में लीन रहे।
नाभादास, प्रियादास और अनंतदास ने इनके जीवन की अनेक अलौकिक घटनाओं का उल्लेख किया है जैसे खेत में बिना बोए ही बीज उगना व फसल अच्छी होना, माता की अनुपस्थिति में सारा दूध संतों को पिला देना और फिर दूध के सभी बरतन दूध से मिलना, घर की सारी रोटियां संतों को खिला देना लेकिन रोटियां ज्यों की त्योँ मिलना आदि। इनमें कितना सच है, ये कहना कठिन है, लेकिन इनके अध्ययन से यह निष्कर्ष निकलता है कि धन्ना का ईश्वर में पूरा विश्वास है तथा संग्रह-वृत्ति से परे रह कर संतों का सत्कार करने की भावना इनमें एक सच्चे संत की तरह थी। धन्ना के बारेँ में जो साहित्य कई हस्तलिखित ग्रंथों में उपलब्ध है, उनमें 'धन्ना री परची', आरती और अन्य कई पद शामिल है जिनसे धन्ना की विचारधारा ज्ञात होती है।

धन्ना का भक्ति मार्ग-

>वे गुरु-भक्ति में निष्ठा रखते हुए कहते हैं कि जगत में ईश्वर-प्राप्ति का मार्ग दिखाने वाले गुरु ही है। वे स्वयं से कहते हैं कि- हे जीव, मुझे स्वयं की चिंता नहीं करनी चाहिए बल्कि ईश्वर में दृढ़ विश्वास करना चाहिए। वे कहते थे कि जो भगवान करते हैं वही होता है, होनी पर किसी का वश नहीं है। वे कहते हैं कि ईश्वर अविगत, अगम, सर्वकर्ता, सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापक है जिसके बारे में कुछ भी कहा नहीं जा सकता है। इस ईश्वर का ध्यान ब्रह्मा, शिव, हनुमान लगातार करते रहते हैं तथा शंकर, नारद, अप्सराएं इत्यादि उनके ध्यान में सुध-बुध खोकर नाचते एवं गाते रहते हैं। धन्ना कहते हैं कि अगणित महिमा वाले राम के गुणों का गान करना मैं कैसे जान सकता हूँ? उस परमात्मा को तो वो ही जान पाया है जिसका स्वभाव सहज व सरल है।
धन्ना की धारणा थी कि अंतर ज्योति के प्रकट हुए बिना प्रभु की पहचान संभव नहीं है। उनका पूर्ण विश्वास था कि ईश्वर की अनुभूति आंतरिक खोज एवं ध्यान के द्वारा ही की जा सकती है।
धन्ना लोभ एवं काम को ईश्वर प्राप्ति में बाधक मानते है तथा नाम स्मरण को ईश्वर प्राप्ति का प्रमुख साधन बताते हैं। उनका कहना था कि प्रभु के स्मरण के बिना कोई भी व्यक्ति आवागमन के बंधनों से मुक्त नहीं हो सकता है तथा नाम स्मरण के बिना जीव को यमराज की नगरी में व्यर्थ ही ठोकर खानी पड़ती है। नाम स्मरण पर जोर देते हुए वे कहते हैं कि राम के नाम का जो जप-यज्ञ करता है, वो ही मोक्ष-पद को प्राप्त करता है।

ढकोसलो के घोर विरोधी-

धन्ना औपचारिकताओं, आडंबर तथा बाह्य दिखावे के विरोधी थे तथा कहते थे कि गंगाजल से स्नान कराना, चंदन-लेप करना, धूपदीप करना, नैवेध रखना, पत्र पुष्प चढ़ाना आदि थोथे आडंबर है। इन सब को छोड़ कर एकमात्र प्रभु के गुण-गान पर बल देना चाहिए।

जातीय भेदभाव का विरोध-

धन्ना का जातीय भेदभाव में विश्वास नहीं था। वे कहते थे कि जब सब प्राणियों में एक ही ईश्वर का निवास है तो फिर ऊंच नीच का भेद कैसे हो सकता है।

Comments

  1. good job....keep it up........wish you all the best

    ReplyDelete
  2. एस के मीणा जी प्रयास की सराहना के आपका अत्यधिक आभार। स्नेह बनाए रखें, जय श्रीकृष्ण।

    ReplyDelete
  3. अत्यंत आभार बी. आर. साहब

    ReplyDelete

Post a Comment

Your comments are precious. Please give your suggestion for betterment of this blog. Thank you so much for visiting here and express feelings
आपकी टिप्पणियाँ बहुमूल्य हैं, कृपया अपने सुझाव अवश्य दें.. यहां पधारने तथा भाव प्रकट करने का बहुत बहुत आभार

Popular posts from this blog

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋत...

THE SCHEDULED AREAS Villages of Udaipur district - अनुसूचित क्षेत्र में उदयपुर जिले के गाँव

अनुसूचित क्षेत्र में उदयपुर जिले के गाँव- अनुसूचित क्षेत्र में सम्मिलित उदयपुर जिले की 8 पूर्ण तहसीलें एवं तहसील गिर्वा के 252, तहसील वल्लभनगर के 22 व तहसील मावली के 4 गांव सम्मिलित किए गए हैं। ये निम्नानुसार है- 1. उदयपुर जिले की 8 पूर्ण तहसीलें (कोटड़ा, झाडोल, सराड़ा, लसाड़िया, सलूम्बर, खेरवाड़ा, ऋषभदेव, गोगुन्दा) - 2. गिर्वा तहसील (आंशिक) के 252 गाँव - S. No. GP Name Village Name Village Code Total Population Total Population ST % of S.T. Pop to Total Pop 1 AMBERI AMBERI 106411 3394 1839 54.18 2 AMBERI BHEELON KA BEDLA 106413 589 573 97.28 3 AMBERI OTON KA GURHA 106426 269 36 13.38 4 AMBERI PRATAPPURA 106427 922 565 61.28 5 CHEERWA CHEERWA 106408 1271 0 0.00 6 CHEERWA KARELON KA GURHA 106410 568 402 70.77 7 CHEERWA MOHANPURA 106407 335 313 93.43 8 CHEERWA SARE 106406 2352 1513 64.33 9 CHEERWA SHIVPURI 106409 640 596 93.13 10 DHAR BADANGA 106519 1243 1243 100.00 11 DHAR BANADIYA 106...

Scheduled Areas of State of Rajasthan - राजस्थान के अनुसूचित क्षेत्र का विवरण

राजस्थान के अनुसूचित क्षेत्र का विवरण (जनगणना 2011 के अनुसार)-   अधिसूचना 19 मई 2018 के अनुसार राजस्थान के दक्षिण पूर्ण में स्थित 8 जिलों की 31 तहसीलों को मिलाकर अनुसूचित क्षेत्र निर्मित किया गया है, जिसमें जनजातियों का सघन आवास है। 2011 की जनगणना अनुसार इस अनुसूचित क्षेत्र की जनसंख्या 64.63 लाख है, जिसमें जनजाति जनसंख्या 45.51 लाख है। जो इस क्षेत्र की जनसंख्या का 70.42 प्रतिशत हैं। इस क्षेत्र में आवासित जनजातियों में भील, मीणा, गरासिया व डामोर प्रमुख है। सहरिया आदिम जाति क्षेत्र- राज्य की एक मात्र आदिम जाति सहरिया है जो बांरा जिले की किशनगंज एवं शाहबाद तहसीलों में निवास करती है। उक्त दोनों ही तहसीलों के क्षेत्रों को सहरिया क्षेत्र में सम्मिलित किया जाकर सहरिया वर्ग के विकास के लिये सहरिया विकास समिति का गठन किया गया है। क्षेत्र की कुल जनसंख्या 2.73 लाख है जिसमें से सहरिया क्षेत्र की अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 1.02 लाख है जो क्षेत्र की कुल जनसंख्या का 37.44 प्रतिशत है।  अनुसूचित क्षेत्र में राजकीय सेवाओं में आरक्षण सम्बन्धित प्रावधान-  कार्मिक (क-...