Skip to main content

Rajasthan's Gypsum Distribution Scheme- राजस्थान जिप्सम वितरण कार्यक्रम

 

क्या होता है जिप्सम-

जिप्सम एक प्रकार का खनिज है। रासायनिक संरचना की दृष्टि से यह कैल्सियम का सल्फेट है, जिसमें जल के भी दो अणु रहते हैं। इसका रासायनिक सूत्र CaSO4·2H2O है। जिप्सम में 16 से 19 प्रतिशत कैल्शियम एवं 13 से 16 प्रतिशत सल्फर होता है। प्रकृति में  जिप्‍सम दो रूपों में पाया जाता है-
  1.  खनिज जिप्‍सम  - खनिज जिप्‍सम को भूगर्भ से खोदकर प्राप्‍त किया जाता है। अधिकांश खान उत्‍पादनों में जिप्‍सम की गुणवत्ता 70 से 95 प्रतिशत के बीच होती है।
  2.  उत्‍पाद जिप्‍सम   - उत्‍पाद जिप्‍सम में प्रमुख रूप से समुद्री जिप्‍सम, फोसफो जिप्‍सम, फ्लोरो जिप्‍सम, बोरो जिप्‍सम, स्‍क्रवर जिप्‍सम इत्‍यादि शामिल है। सामान्‍य नमक के उत्‍पादन के दौरान समुद्री जिप्‍सम समुद्र के पानी से एक उपउत्‍पाद (by product) के रूप में प्राप्‍त किया जाता है, जबकि अन्‍य प्रकार के जिप्सम विभिन्‍न रासायनिक सयंत्रो से सह-उत्‍पाद के रूप में प्राप्‍त होते हैं। 

जिप्सम को कैल्‍साइंड करना -

जिप्‍सम को गर्म करने पर इसमें उपस्थित जल की मात्रा कम हो जाती है।  इस प्रकार बने आंशिक निर्जलीकृत जिप्सम को कैल्‍साइंड जिप्‍सम कहते हैं। ''प्लास्टर ऑफ़ पेरिस'' कैल्‍साइंड जिप्‍सम ही है, जिसका रासायनिक सूत्र  CaSO4·½H2O है । अर्थात इसमें जल की मात्रा ½H2O ही है।

क्या है जिप्सम के उपयोग -

जिप्‍सम एक बहुत महत्‍वपूर्ण औद्योगिक खनिज है जिसके बहुत उपयोग हैं, जिनका वर्गीकरण दो रूपों में किया जाता है -

1. यह कैल्‍साइंड जिप्सम (Calcined Gypsum) के रूप में  उपयोग -   

जिप्‍सम के कैल्‍साइंड रूप का प्रयोग विभिन्‍न प्रकार के मकान निर्माण, जैसेः प्‍लास्‍टर, वाल-बोड, ब्‍लॉक आदि में किया जाता है।

2. अनकैल्‍साइंड (Uncalcined Gypsum) के रूप में उपयोग -  

अनकैल्‍साइंड जिप्‍सम मुख्‍य रूप से सीमेन्‍ट और उर्वरक के निर्माण में और क्षारीय भूमि सुधारक के रूप में एवं सल्फ्यूरिक एसिड के निर्माण में एवं रंग, रबर व कागज भराव इत्‍यादि के कार्य में प्रयुक्त किया जाता है। 

कृषि में खनिज जिप्सम का उपयोग -

खनिज जिप्सम का उपयोग मृदा की क्षारीयता को कम करने तथा मिट्टी में पोषक तत्व सल्फर की मात्रा बढाने में किया जाता है।

उद्योगों में जिप्‍सम के उपयोग  -

  • सीमेन्‍ट उद्योग में
  • अमोनियम सल्‍फेट उद्योग में
  • सल्‍फेट एसिड उद्योग में
  • प्‍लास्‍टर ऑफ़ पेरिस के निर्माण में
  • फिलरस
  • सिरेमिकस उद्योग में
  • इन्‍सुलेटर निर्माण में
  • मेडीकल उद्योग में
  • भवन निर्माण उद्योग में
  • कोयला खनन में
  • ब्‍लेक बोर्ड चाक बनाने में
  • अन्‍य उद्योगों में





राजस्थान जिप्सम वितरण कार्यक्रम


अनकैल्‍साइंड जिप्सम का उपयोग क्षारीय भूमि सुधार हेतु मृदा सुधारक के रूप में किया जाता है। इसके लिए पहले खेत की मिद्टी की जांच की जाती है तथा फिर उस जाँच रिपोर्ट के आधार पर जिप्सम की आवश्यक मात्रा (जी0आर0 वैल्यू) का उपयोग खेतों में किया जाता है।
पोषक तत्वों के रूप में तिलहनी, दलहनी एवं गेंहॅू की फसलों में 250 किलो प्रति हैक्टर जिप्सम उपयोग किया जाता है।
    अनुदान :-
    • जिप्‍सम पर जिलेवार निर्धारित कुल जिप्सम दर का 50 प्रतिशत अनुदान, अधिकतम 2 हैक्टेयर क्षेत्र हेतु कृषको को देय है।
    पात्रता :-
    • राज्‍य के समस्त किसान।
    आवेदन प्रक्रिया
    • पोषक तत्वाेे के रूप में जिप्स‍म की मांग हेतु विभाग द्वारा निर्धारित प्रार्थना पत्र में आवेदन करे।
    • क्षारीय भूमि सुधार हेतु मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार जिप्सम की आवश्यक मात्रा (जी0आर0 वैल्यू ) भरकर आवेदन करे।
    प्राप्ति स्रोत्र-
    • जिप्सम परिवहन एवं वितरण करने वाली संस्थाओं यथा आईपीएल, राजफैड के स्थानीय डीलर/ रीटेलर/ केवीएसएस/ जीएसएस।
    समय अवधि
    • किसान की मांग प्राप्ति होने के अधिकतम 1 माह।
    कहां सम्पर्क करें :-
    • ग्राम पंचायत स्तर पर :- कृषि पर्यवेक्षक
    • पंचायत समिति स्तर पर :- सहायक कृषि अधिकारी
    • उपखंड स्तर पर :- सहायक निदेशक कृषि (विस्तार)
    • जिला स्तर पर :- उप निदेशक कृषि (विस्तार)


    Comments

    Popular posts from this blog

    राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

    हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋत...

    THE SCHEDULED AREAS Villages of Udaipur district - अनुसूचित क्षेत्र में उदयपुर जिले के गाँव

    अनुसूचित क्षेत्र में उदयपुर जिले के गाँव- अनुसूचित क्षेत्र में सम्मिलित उदयपुर जिले की 8 पूर्ण तहसीलें एवं तहसील गिर्वा के 252, तहसील वल्लभनगर के 22 व तहसील मावली के 4 गांव सम्मिलित किए गए हैं। ये निम्नानुसार है- 1. उदयपुर जिले की 8 पूर्ण तहसीलें (कोटड़ा, झाडोल, सराड़ा, लसाड़िया, सलूम्बर, खेरवाड़ा, ऋषभदेव, गोगुन्दा) - 2. गिर्वा तहसील (आंशिक) के 252 गाँव - S. No. GP Name Village Name Village Code Total Population Total Population ST % of S.T. Pop to Total Pop 1 AMBERI AMBERI 106411 3394 1839 54.18 2 AMBERI BHEELON KA BEDLA 106413 589 573 97.28 3 AMBERI OTON KA GURHA 106426 269 36 13.38 4 AMBERI PRATAPPURA 106427 922 565 61.28 5 CHEERWA CHEERWA 106408 1271 0 0.00 6 CHEERWA KARELON KA GURHA 106410 568 402 70.77 7 CHEERWA MOHANPURA 106407 335 313 93.43 8 CHEERWA SARE 106406 2352 1513 64.33 9 CHEERWA SHIVPURI 106409 640 596 93.13 10 DHAR BADANGA 106519 1243 1243 100.00 11 DHAR BANADIYA 106...

    Scheduled Areas of State of Rajasthan - राजस्थान के अनुसूचित क्षेत्र का विवरण

    राजस्थान के अनुसूचित क्षेत्र का विवरण (जनगणना 2011 के अनुसार)-   अधिसूचना 19 मई 2018 के अनुसार राजस्थान के दक्षिण पूर्ण में स्थित 8 जिलों की 31 तहसीलों को मिलाकर अनुसूचित क्षेत्र निर्मित किया गया है, जिसमें जनजातियों का सघन आवास है। 2011 की जनगणना अनुसार इस अनुसूचित क्षेत्र की जनसंख्या 64.63 लाख है, जिसमें जनजाति जनसंख्या 45.51 लाख है। जो इस क्षेत्र की जनसंख्या का 70.42 प्रतिशत हैं। इस क्षेत्र में आवासित जनजातियों में भील, मीणा, गरासिया व डामोर प्रमुख है। सहरिया आदिम जाति क्षेत्र- राज्य की एक मात्र आदिम जाति सहरिया है जो बांरा जिले की किशनगंज एवं शाहबाद तहसीलों में निवास करती है। उक्त दोनों ही तहसीलों के क्षेत्रों को सहरिया क्षेत्र में सम्मिलित किया जाकर सहरिया वर्ग के विकास के लिये सहरिया विकास समिति का गठन किया गया है। क्षेत्र की कुल जनसंख्या 2.73 लाख है जिसमें से सहरिया क्षेत्र की अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 1.02 लाख है जो क्षेत्र की कुल जनसंख्या का 37.44 प्रतिशत है।  अनुसूचित क्षेत्र में राजकीय सेवाओं में आरक्षण सम्बन्धित प्रावधान-  कार्मिक (क-...