Skip to main content

Swacch Bharat Mission (Gramin) स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण)

Swacch Bharat Mission(Gramin) - स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण)


 
पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से राज्य में ‘‘सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान‘‘- वर्ष 1999-2000 में केवल 4 ज़िलों में प्रारम्भ किया गया। वर्ष 2005-06 से यह कार्यक्रम राज्य के सभी जिलों में क्रियान्वित किया जा रहा है। मंत्रीमंडल सचिवालय की अधिसूचना दिनांक 30.11.2010 की अनुपालना में, सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान कार्यक्रम का क्रियान्वयन जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग से पंचायती राज विभाग को हस्तान्तरित किया गया था। 1 अप्रेल, 2012 से सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान का नाम "निर्मल भारत अभियान" कर दिया गया। तत्पश्चात् 2 अक्टूबर, 2014 से स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) का नाम दिया गया है। इस मिशन का उद्देश्य महात्मां गांधी की 150वीं वर्षगांठ-2 अक्टूबर, 2019 तक भारत को खुले में शौच से मुक्त करना है। मुख्यमंत्री, राजस्थान द्वारा दिनांक 18 जुलाई, 2014 को विधानसभा में राज्य को अगले 3 वर्षों में, यानि-वर्ष 2017-18 तक राज्य को खुले में शौच से मुक्त बनाने की घोषणा की गई है।

योजना के उददेश्‍य

  • ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के सामान्य जीवन स्तर में सुधार लाना।
  • वर्ष 2019 तक स्वच्छ भारत का विज़न प्राप्त करने हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता कवरेज की गति तेज़ करना और सभी ग्राम पंचायतों को निर्मल स्तर तक लाना।
  • जागरूकता सृजन और स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से स्थाई स्वच्छता को बढ़ावा देकर, समुदाय को और पंचायती राज संस्थाओं को प्रेरित करना।
  • पारिस्थितिकीय रूप से सुरक्षित एवं स्थाई स्वच्छता के लिए लागत-प्रभावी संगत प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में सम्पूर्ण साफ-सफाई के लिए वैज्ञानिक ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए, समुदाय-प्रबंधित प्रणालियों का विकास कराना।

प्रावधान

  • व्यक्तिगत पारिवारिक शौचालय (IHHL)- 
       स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अन्तर्गत व्यक्तिगत पारिवारिक शौचालय (IHHL) इकाईयों के निर्माण एवं उपयोग करने पर प्रोत्साहन राशि के रूप में रूपये 12000/-(केन्द्र का अंश 60% यानि-रूपये 7200/- एवं राज्य का अंश 40% यानि-रूपये 4800/- इस प्रकार कुल-12000 रूपये) दिए जाने का प्रावधान है।
  • पात्रताः-  
सभी बी.पी.एल. परिवार तथा गरीबी रेखा से ऊपर वाले अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, लघु एवं सीमान्त किसानों, वास भूमिवाले, भूमिहीन श्रमिक, शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्तियों और महिला मुखिया परिवार इसके पात्र है।
  • आवेदन की प्रक्रियाः- 
पात्र परिवारों के द्वारा शौचालय के निर्माण हेतु ग्राम पंचायत में आवेदन किया जाता है, जिसकी स्वीकृति सम्बन्धित पंचायत समिति के विकास अधिकारी द्वारा दी जाती है। लाभार्थी द्वारा स्वयं की राशि से अपने घर में निश्चित डिज़ाइन के आधार पर शौचालय का निर्माण किया जाता है। निर्मित शौचालय में जल की उपलब्धता हेतु पानी की टंकी एवं हाथ धोने की सुविधा होनी चाहिए। लाभार्थी एवं उसके परिवार के सदस्यों द्वारा शौचालय का उपयोग किया जाना चाहिए। पंचायत द्वारा निर्मित शौचालय के सत्यापन के बाद लाभार्थी के खाते में या चेक के द्वारा भुगतान किए जाने का प्रावधान है।
  • सामुदायिक स्वच्छता परिसरः- 
इन परिसरों का निर्माण उन ग्राम पंचायतों में किया जाएगा, जहां पारिवारिक शौचालयों के निर्माण के लिए गांव में जगह की कमी हो और समुदाय/ग्राम पंचायत उनके परिचालन एवं रख-रखाव की ज़िम्मेदारी लें। सामुदायिक शौचालय निर्माण हेतु अधिकतम रूपये 2 लाख/- (केन्द्र का अंश-60% राज्य का अंश-30% एवं समुदाय का अंश-10%) का प्रावधान है। ग्राम पंचायत द्वारा 10 प्रतिशत की सहयोग राशि समुदाय द्वारा/ग्राम पंचायत के निजी संसाधन से उपलब्ध करानी होगी। सामुदायिक शौचालय बनने के उपरान्त ग्राम पंचायत/ट्रस्ट आदि द्वारा रख- रखाव और पानी की निरन्तर उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु घोषणा-पत्र प्रस्तुत करने के पश्चात् ज़िला स्तर से स्वीकृति जारी की जाती है।
  • ठोस एवं तरल कचरा प्रबन्धनः-





निर्मल ग्राम पुरस्कार से पुरस्कृत ग्राम पंचायतें या 70 प्रतिशत तक खुले में शौच से मुक्त हो चुकी ग्राम पंचायतों में ठोस एवं तरल कचरा-प्रबन्धन हेतु पंचायत में निवास करने वाले परिवारों की संख्या क्रमशः-150/ 300/500/500 से अधिक होने के आधार पर, ग्राम पंचायतो को क्रमशः 7 लाख/12 लाख/15 लाख/20 लाख की राशि उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान है। इसके अन्तर्गत घरेलू कचरे का संकलन, पृथक्करण और सुरक्षित निपटान, घरेलू कम्पोस्ट/वर्मी कम्पोस्ट बनाना, बायोगैस संयंत्र बनाना, विद्यालयों, महिला सामुदायिक स्वच्छता परिसरों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों अथवा गांव में किसी उपयुक्त स्थल पर मासिक धर्म के दौरान हुए अपशिष्ट (उपयोग किए गए सेनीटरी क्लॉथ एवं पैड) के सुरक्षित निपटान हेतु भष्मक (इनसिनरेटर) का निर्माण किया जा सकता है। घरों से निकलने वाले बेकार पानी के निपटान हेतु तरल कचरा प्रबन्धन के अन्तर्गत नालियां, अपशिष्ट स्थिरीकरण तालाब, विकेन्द्रीकृत जल शोधन प्रणाली आदि निर्मित की जा सकती हैं। ग्राम पंचायतें ठोस एवं तरल कचरा प्रबन्धन की विस्तृत परियोजना तैयार कर, ज़िले के माध्यम से विभाग को प्रेषित करेंगी। विभाग द्वारा स्वीकृति जारी होने के पश्चात्, योजना का क्रियान्वयन ग्राम पंचायतों में सामुदायिक सहभागिता से किया जाएगा।

Comments

  1. This Swachh Bharat circle was initiated by Ministry of Urban Development in Oct 2014 upon the launch of Swachh Bharat Mission and is now the largest Swachh Bharat citizen community!

    ReplyDelete
  2. This Circle & community is dedicated to fight corruption together

    ReplyDelete

Post a Comment

Your comments are precious. Please give your suggestion for betterment of this blog. Thank you so much for visiting here and express feelings
आपकी टिप्पणियाँ बहुमूल्य हैं, कृपया अपने सुझाव अवश्य दें.. यहां पधारने तथा भाव प्रकट करने का बहुत बहुत आभार

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली