Skip to main content

मसाला विकास एजेंसी जोधपुर


मसाला विकास एजेंसी (एस डी ए), जोधपुर

भारत सरकार ने प्रमुख मसाला उत्पादक क्षेत्रों में वहाँ के मसालों के समग्र विकास हेतु दस मसाला विकास एजेंसियों का गठन अधिसूचित किया है। इन एजेंसियों की अध्यक्षता संबंधित राज्य सरकार के मुख्य सचिव करेंगे और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, राज्य/केंद्रीय कृषि/बागवानी मंत्रालय, अन्य संबंधित केंद्रीय/राज्य संगठनों, कृषि विश्वविद्यालय, उस क्षेत्र के स्पाइसेस बोर्ड सदस्य और मसाला कृषकों, व्यापारियों तथा निर्यातकों जैसे उद्योग के विभिन्न पणधारी इसके सदस्य होंगे। यह एजेंसी इस क्षेत्र के मसालों के उत्पादन, घरेलू विपणन, गुणवत्ता और निर्यात संवर्धन से जुड़े मामलों को पहचान लेगी और कार्यक्रम बनाएगी। एस ड़ी ए के गठन को सुकर बनाने और एसडीए द्वारा रूपायित विभिन्न कार्यक्रमों के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु स्पाइसेस बोर्ड के कार्यालयों का पुन:गठन किया गया है। तदनुसार, देश के प्रमुख मसाला उत्पादन केन्द्रों में बोर्ड के 11 प्रादेशिक कार्यालय स्थापित किए गए हैं। एसडीए द्वारा पहचान लिए गए कार्यों का कार्यान्वयन उस एसडीए से जुड़े बोर्ड के प्रादेशिक कार्यालय [आर ओ] द्वारा बोर्ड के अनुमोदन के अधीन राज्य सरकार के समन्वयन के साथ किया जाएगा। एसडीए स्पाइसेस बोर्ड के समग्र प्राधिकार, पर्यवेक्षण और नियंत्रण के अधीन काम करेंगे।
जोधपुर एसडीए द्वारा राजस्थान और स्पाइसेस बोर्ड द्वारा यथा अधिसूचित आसपास के क्षेत्र के अन्य मसाला उत्पादक जिले धनिया, मेथी, बड़ी सौंफ, जीरा (Coriander, Fenugreek, Fennel, Cumin) के उत्पादन एवं  विकास का कार्य करती है।

Comments

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली