Skip to main content

राजस्थान में 'आजीविका स्किल्स प्रोजेक्ट’ शुरू -
मुख्यमंत्री ने किया युवाओं के रोजगार के लिए देश के पहले व सबसे बड़े स्किल्स ट्रेनिंग प्रोग्राम का शुभारम्भ

398 करोड़ रुपये का होगा ’’आजीविका स्किल्स प्रोजेक्ट’’-


मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने गुरूवार 17 जुलाई को मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रदेश के युवाओं के लिये रोजगार के अवसर सृजित करने के लिये देश के पहले और सबसे बड़े महत्त्वाकांक्षी ’’आजीविका स्किल्स प्रोजेक्ट’’ का शुभारम्भ किया। प्रदेश में इस प्रोजेक्ट के लिए 398 करोड़ रुपये का वित्तीय प्रावधान किया गया है। भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय एवं राजस्थान सरकार के संयुक्त तत्वावधान में इस प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश के एक लाख ग्रामीण युवाओं को रोजगार के लिये आधुनिक कौशल प्रशिक्षण देकर रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएंगे।

राज्य सरकार ने किया 22 प्रतिष्ठित एवं अनुभवी एजेन्सियों के साथ एमओयू-

मुख्यमंत्री श्रीमती राजे की मौजूदगी में मुख्यमंत्री कार्यालय के कांफ्रेन्स हॉल में राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम (आरएसएलडीसी) के प्रबन्ध निदेशक श्री गौरव गोयल एवं परियोजनान्तर्गत चयनित देश की 22 प्रतिष्ठित एवं अनुभवी एजेन्सियों के प्रतिनिधियों के बीच प्रशिक्षण कार्यक्रम के एमओयू पर हस्ताक्षर किये गये। यहां उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार ने इसके लिए राजस्थान को प्रथम राज्य के रूप में चुना है।

राजस्थान कौशल आजीविका विकास निगम के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर करने वाली एजेन्सियों में निम्न शामिल हैं-

महाराणा प्रताप एज्यूकेशनल सेंटर, मानव विकास एवं सेवा संस्थान, ए फॉर ई, इण्डिया, नाइस कम्प्यूटर, केयर एज्यूकेशनल एण्ड वेलफेयर सोसायटी, आरवीएस एज्यूकेशनल ट्रस्ट, ओमनी सॉफ्ट टेक्नोलॉजी प्रा.लि., एएसटीएम, ईएसडीएल, नीफा इन्फोकॉम प्रा.लि., सीपीआईटी एज्यूकेट, लोक भारती, फोकस एज्यूकेयर, प्रयास जूवेनाइल एड सेन्टर सोसायटी, इण्डियन इन्स्टीट्यूट ऑफ़ नेच्यूरल रिसोर्सेज मैनेजमेंट, स्काइलार्क इन्फोवेव्ज प्रा.लि., सिक्यूरिटी स्किल्स काउसिंल इण्डिया लि., लोरेंस एज्यूटेक प्रा.लि., आइडल एज्यूकेशन प्रा.लि., ओरियन एज्यूकेट प्रा.लि. एवं एसएलवी सिक्यूरिटी सर्विसेज प्रा.लि.

ये एजेन्सियां प्रदेश के सभी 33 जिलों में एक लाख ग्रामीण युवाओं को निम्नांकित के लिए निःशुल्क कौशल प्रशिक्षण देगी -
  • हॉस्पिटेलिटी
  • आईसीटी
  • गारमेंट मार्केटिंग
  • फूड प्रोसेसिंग
  • बैकिंग एण्ड अकाउंटिंग
  • कूरियर एण्ड लॉजिस्टिक्स
  • ब्यूटी कल्चर एण्ड हेयर ड्रेसिंग
  • ट्रैवल एण्ड टूरिज्म
  • मेटेरियल मैनेजमेंट
  • सिक्यूरिटी
  • हैल्थ केयर
  • मेडिकल एण्ड नर्सिंग
  • ऑटोमोटिव रिपेयर
  • कंस्ट्रक्शन
  • रिटेल
  • फेब्रिकेशन
  • इलेक्ट्रिकल
  • इलेक्ट्रॉनिक्स
  • कृषि आदि क्षेत्र ।

इनमें 34 हजार महिलाएं होंगी। प्रथम चरण में आरएसएलडीसी द्वारा चयनित एजेन्सियों द्वारा सभी जिलों में कौशल विकास केन्द्र स्थापित किए जाएंगे।

आगामी पांच सालों में 15 लाख युवाओं को जोड़ा जायेगा रोजगार से-

इस अवसर पर श्रीमती राजे ने कहा कि राज्य सरकार आगामी पांच सालों में 15 लाख युवाओं को रोजगार से जोडे़गी, इस दिशा में यह पहला ठोस कदम है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 इस लिहाज से राजस्थान के युवाओं के भविष्य के लिए टर्निंग पॉइंट'  साबित होगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार ने इस वर्ष के बजट में बेसिक रोडमैप दिया है।

स्थापित होगी स्किल यूनिवर्सिटी-

मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि राज्य सरकार ने लेबर एक्ट व फैक्ट्रीज एक्ट आदि में संशोधन भी प्रस्तावित किए हैं जिनका उद्देश्य रोजगार के अवसरों के लिए बेहतर माहौल बनाना है। उन्होंने कहा कि हम राज्य में पीपीपी मोड पर स्किल यूनिवर्सिटी स्थापित करने जा रहे हैं।

Comments

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली