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***राजस्थान को जाने***


 राज्य की जलवायु- 

राजस्थान की जलवायु निर्धारण में निम्नांकित कारक प्रमुख है- 

1. अक्षांक्षीय स्थिति 
2. समुद्र तल से ऊँचाई 
3. धरातलीय स्वरूप 
4. समुद्र तल से औसत ऊँचाई 
5. वायु की दिशा व गति 

* राज्य में 50 सेमी समवर्षा के पूर्व में अर्धशुष्क जलवायु पाई जाती है।

* 50 सेमी समवर्षा के दक्षिण व दक्षिण पूर्व में आर्द्र और उपआर्द्र जलवायु पाई जाती है। 

* 50 सेमी समवर्षा के पश्चिमी भाग में शुष्क जलवायु पाई जाती है। 

* कर्क रेखा राजस्थान के दक्षिणी भाग में बाँसवाड़ा के समीप से गुजरती है। 

* राजस्थान में 21 जून को कर्क रेखा पर प्रकाश की अवधि 13 घंटे 27 मिनट होती है तथा सूर्य की किरणों का कोण 90 डिग्री होता है (सूर्य की किरणे सीधी पड़ती है) इसीलिए राज्य में 21 जून को दिन की अवधि सबसे लंबी होती है। सूर्य की किरणे सीधी पड़ने के कारण जून माह में गर्मी अधिक पड़ती है। 

* राज्य में ग्रीष्म ऋतु मार्च से जून के मध्य होती है। 

* राज्य में जून माह में तापमान उत्तर से दक्षिण पश्चिम की ओर कम होता जाता है। 

* जून माह में राज्य में अधिकतम तापमान 32 डिग्री सेल्सियस से 44 डिग्री के मध्य रहता है। लेकिन कई स्थानों जैसे बीकानेर, बाड़मेर, जोधपुर, चुरू आदि में तापमान 46 से 49 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है।

* सामान्यतः समुद्र तल से ऊँचाई बढ़ने पर तापमान में कमी होती है। समुद्र तल से 165 मीटर ऊँचाई पर जाने से तापमान में 1 डिग्री की कमी होती है, इसे तापमान की ह्रास दर कहते हैं।

* ग्रीष्म ऋतु में राज्य के पूर्वी तथा दक्षिणी जिलों की अपेक्षा पश्चिमी जिलों में वायुदाब कम रहता है। जून माह में पश्चिमी भाग अत्यधिक गर्म होने से न्यून वायुदाब का क्षेत्र बन जाता है। यह न्यून वायुदाब मानसून की हवाओं को आकर्षित करता है। 

* ग्रीष्म ऋतु के प्रारंभ में हवाएं पश्चिम से पूर्व की ओर चलती है जो पश्चिमी बालुका मैदान (थार रेगिस्तान) को पार करके गर्म हो जाती है इन्हें "लू" कहा जाता है। 

* ग्रीष्म ऋतु में हवाओं की गति पूर्वी जिलों की अपेक्षा पश्चिमी जिलों में अधिक होती है। यही कारण है कि पश्चिमी जिलों में आँधी चलती रहती है। 

* राज्य में अधिक संख्या में आँधी गंगानगर (27 दिन), बीकानेर (18 दिन), जैसलमेर (16 दिन), बाड़मेर (13 दिन) में आती है। 

* बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसूनी हवाएं मार्ग में वर्षा करते हुए जब राजस्थान में प्रवेश करती है तो उनमें विद्यमान आर्द्रता की मात्रा कम होती है।

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