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"कुंभलगढ़ व रावली टाडगढ़ अभयारण्य" में छह ईको टूरिज्म स्थल विकसित होंगे

राज्य के "कुंभलगढ़ व रावली टाडगढ़ अभयारण्य" में छह ईको टूरिज्म प्रोजेक्ट्स को विकसित करने के लिए केंद्र सरकार ने लगभग 6 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। इस अभयारण्य में ईको-पर्यटन की संभावना के मद्देनजर वन विभाग द्वारा यह प्रोजेक्ट केंद्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय भेजा गया था। यह आशा व्यक्त की जा रही है कि इस योजना के विकसित होने से यह क्षेत्र पर्यटकों के लिए और अधिक आकर्षण का केंद्र बन जाएगा। प्राप्त समाचारों के अनुसार इसमें कुंभलगढ़ ईको टूरिज्म प्रोजेक्ट के तहत राजसमंद जिले के कुंभलगढ़ अभयारण्य व ऐतिहासिक दिवेर, पाली जिले के रणकपुर को और अजमेर जिले के रावली टाडगढ़ प्रोजेक्ट में रावली टाडगढ़ अभयारण्य, अजमेर जिले के धूलेश्वर, पाली के कालीघाटी बीलबेरी, बागरी को विकसित किया जाएगा। इन क्षेत्रों में पहले से ही भारी संख्या में पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है लेकिन इस प्रोजेक्ट के तहत जब क्षेत्र में सुविधाएं व एडवेंचर प्वाइंट विकसित होंगे तो पर्यटकों की संख्या और बढ़ेगी। इससे एक और जहाँ सरकार को राजस्व बढ़ेगा, वहीं स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी बढ़ेंगे। दो वर्षो में पूरा किए जाने वाले इस प्रोजेक्ट के तहत "कुंभलगढ़ व रावली टाडगढ़ अभयारण्यों" के अंतर्गत छह ईकोटूरिज्म डेस्टिनेशन निर्मित किए जाएंगे। वन विभाग के अनुसार इसमें संसाधनों का संधारण ईको डवलपमेंट कमेटी के सदस्य स्थानीय ग्रामीणों द्वारा किए जाने का प्रावधान किया गया है। इससे उनकी आजीविका में वृद्धि होगी व अभयारण्यों की सुरक्षा में उनका योगदान बढ़ेगा।
पर्यटकों के मनोरंजन के लिए इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत इन स्थानों पर ट्रेकिंग पाथ, सड़क व पैदल मार्ग पर व्यू प्वाइंट, वॉच टावर, रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर आदि बनाए जाएंगे। पुरानी व ऐतिहासिक इमारतों का जीर्णोद्धार कर दर्शनीय स्थल के रूप में विकसित कर उनकी पुनर्स्थापना की जाएगी। इसके अतिरिक्त इन स्थलों के पास ही ग्रामीण परिवेश में पर्यटकों के खाने-पीने व आवास की व्यवस्था भी की जाएगी तथा विभाग की ओर से ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा भी की जाएगी।


'न्यायाधीश' नहीं होंगे देवस्थान आयुक्त

ट्रस्टों के पंजीकरण के तथा अन्य मामलों में अपील की सुनवाई करते समय अब देवस्थान आयुक्त का कार्यालय न्यायालय शब्द का उपयोग नहीं कर सकेगा। राज्य सरकार द्वारा यह रोक तत्काल प्रभाव से लागू की गई है। उल्लेखनीय है कि लोक न्यास अघिनियम के तहत ट्रस्टों के पंजीकरण के मामलों में सहायक देवस्थान आयुक्त के निर्णय के खिलाफ अपील की सुनवाई देवस्थान आयुक्त करते हैं तथा इन अपीलों की सुनवाई व आदेश जारी करते समय आयुक्त कार्यालय द्वारा न्यायालय शब्द का उपयोग किया जाता था।
हाल ही जारी सरकारी आदेश में अब स्पष्ट किया गया है कि आयुक्त के कार्य की प्रकृति अर्द्धन्यायिक या अधिकरण की है इसलिए न्यायालय शब्द का उपयोग नहीं किया जाए।

Comments

  1. बहुत अच्छी जानकरी दी है आपने ......यु ही देते रहना

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  2. धन्यवाद तरुण जी, आपका स्नेह व संबल इस प्रयास को गति देगा।

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