Skip to main content

राजस्थान समसामयिक घटनाचक्र-
केयर्न इंडिया को मिला विश्व प्रतिष्ठित “सुपरब्रांड“

राजस्थान में देश का विगत दो दशकों का सबसे बड़ा जमीनी तेल और गैस के मंगला तेल क्षेत्र की खोज का तोहफा देने वाली कंपनी केयर्न इंडिया ने विश्व प्रतिष्ठित “सुपरब्रांड“ का स्तर प्राप्त कर लिया है।
गत दिनों नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में केयर्न इंडिया के कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन, अफेयर्स व सी.एस.आर. निदेशक श्री मनु कपूर ने योजना आयोग के उपाध्यक्ष डाँ. मोंटेक सिंह अहलुवालिया से यह सम्मान ग्रहण किया। इस सम्मान के साथ ही केयर्न इंडिया उस विशिष्ठ क्लब में सम्मिलित हो गई है, जिसमें रिलायंस, ओ. एन. जी. सी. तथा एल एंड टी सम्मिलित हैं।
गत दिनों केयर्न ने इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही के परिणामों की घोषणा करते हुए उम्मीद से अधिक लाभ की घोषणा की थी। इस कंपनी द्वारा राजस्थान के मंगला क्षेत्र से उत्पादन को लगभग एक साल पूर्व सवा लाख बैरल तेल प्रतिदिन के स्तर पर पहुँचाया था। इस कंपनी ने 27 सौ करोड़ रुपए से अधिक का सकल लाभ घोषित किया है। राजस्थान के अलावा गुजरात के केम्ब बेसिन में और आन्ध्र प्रदेश के राव क्षेत्र से भी यह कंपनी उत्पादन कर रही है।

क्या है सुपर ब्रांड-

व्यवसाय की एक विशिष्ठ अवधारणा के रूप में सन् 1993 में सुपर ब्रांड की शुरुआत की गयी थी तथा ये उन ब्रांड्स को आमंत्रण के आधार पर चयनित करता है जो सबसे अधिक प्रभावी हैं और उद्योग जगत के साथ समाज में अपना प्रभाव रखते हैं। वर्तमान में सुपर ब्रांड एक बहुराष्ट्रीय प्रकल्प के रूप में विकसित हो चुका है और इसकी उपस्थिति अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और एशिया के 86 देशों में है। भारत में सुपर ब्रांड 2003 में पहुंचा और यहाँ चयन के लिए कड़ी प्रक्रिया अपनाई जाती है। उपभोक्ता, व्यवसाय और लक्जरी श्रेणी में दुनिया के सबसे जाने-माने सुपर ब्रांड्स की विशिष्ठ जमात में शामिल होने के लिए कडे मापदंडों का इस्तेमाल होता है तथा केवल आमंत्रण के द्वारा ही इस खिताब को प्राप्त किया जा सकता है। सुपर ब्रांड के लिए आवेदन या स्व नामांकन नहीं किया जाता बल्कि सबसे प्रभावी ब्रांड्स को विशेषज्ञों द्वारा चयनित किया जाता है।


विशेष पिछड़ा वर्ग के लिये 41 छात्रावास इसी शैक्षणिक सत्र से

5 अगस्त को मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने विशेष पिछड़ा वर्ग के कल्याण के लिए राज्य में प्रारंभ की गई देवनारायण योजना के तहत 200 करोड़ रुपए के विशेष पैकेज के अन्तर्गत 41 छात्रावासों को इसी शैक्षणिक सत्र से किराए के भवनों में चलाने की अनुमति प्रदान की है।
इसके साथ ही विशेष पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए छात्रावासों के संचालन पर इस वित्तीय वर्ष में 5 करोड़ 50 लाख रुपए की स्वीकृति भी दी है।
इस विशेष पैकेज के तहत बूंदी, अजमेर, करौली, एवं पाली में तीन-तीन, जयपुर, भरतपुर, दौसा, सवाईमाधोपुर, टौंक, भीलवाड़ा, जालौर एवं सिरोही में दो-दो, धौलपुर, अलवर, चित्तौडगढ़, राजसमन्द, सीकर, उदयपुर, जोधपुर, बीकानेर, नागौर, झालावाड़, बारां, कोटा एवं बाडमेर में एक-एक छात्रावास खोला जाना अनुमोदित किया गया है।


भारत की सुनीता कृष्णन को वाइटल वायसेज ग्लोबल लीडरशिप पुरस्कार

भारत हैदराबाद की सुनीता कृष्णन को वाइटल वायसेज ग्लोबल लीडरशिप पुरस्कार 2010 के मानवाधिकार सम्मान से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान अमेरिका के कनेडी सेंटर में 13 अप्रैल 2011 को दिया गया। इस क्रम में यह 10 वां वार्षिक पुरस्कार है। सुनीता कृष्णन को यह सम्मान भारत में महिलाओं एवं लड़कियों की तस्करी के विरुद्ध किए गए योगदान के लिए दिया गया। आंध्रप्रदेश के हैदराबाद की सुनीता गैर सरकारी संस्था प्राज्ज्वला की सहसंस्थापक है।

Comments

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली