आदिवासी अंचल में पारंपरिक संस्कृति के अलावा पारंपरिक वैज्ञानिक ज्ञान भी बिखरा पड़ा है। इनमें से एक क्षेत्र है पारंपरिक औषधियों का। आदिवासी अंचल में गाँवों में कुछ ऐसे व्यक्ति होते हैं जिन्हें पारंपरिक लोक औषधियों का विषद् ज्ञान होता है। इन लोगों को "ज्ञानी या गुणी" कहते हैं। आदिवासी अंचल के ज्ञानी तथा गुणियों को इन जड़ी बूटियों के बारे में गहरी जानकारी होती है। उन्हें इन लोक औषधियों के पनपने की परिस्थितियों, उनके औषधीय गुणों व प्रयोग की विधि के बारे में सटीक अनुभव होता है। इन ज्ञानी और गुणियों के पारंपरिक ज्ञान का संग्रह करने तथा इसे प्रकाश में लाने का कार्य कतिपय स्वयंसेवी संस्थाएँ कर रही है। इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उदयपुर स्थित"पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (वेस्ट जोन कल्चरल सेंटर)" द्वारा 50 दुर्लभ प्रजातियों के साथ अपने हवाला ग्राम स्थित 'शिल्पग्राम' में संभवतः प्रदेश का पहला लोक औषध उद्यान (फोक मेडिसिन गार्डन) विकसित कर उठाया है। यह उद्यान यहां आने वाले पर्यटकों एवं आम जनता को ग्रामीण आदिवासियों तथा अन्य जानकार लोगों के स्वास्थ्य देखभाल तंत्र (हेल्थ केयर सिस्टम) से प्रत्यक्ष करवाने के साथ साथ पारंपरिक जड़ी बूटियों तथा उनसे होने वाले लाभ की भी जानकारी कराएगा। इस उद्यान में लोक औषधियों को उपजाने, विकसित करने, सार - संभाल करने एवं दुर्लभ प्रजातियों की संख्या बढ़ाने का दायित्व भी उन्हीं ग्रामीण जड़ी बूटियों के ज्ञानी और गुणियों को दिया गया है जो इसके अनुभवी हैं। केंद्र निदेशक के अनुसार प्रदेश में लोककलाओं और संस्कृति पर ही अत्यधिक ध्यान दिया गया है, लेकिन फोक मेडिसिन की तरफ किसी का अत्यंत कम ध्यान दिया गया है। उदयपुर से ही इसकी शुरुआत की गई है।
दुर्लभ लोक औषधियों के इस पहले संग्रह के प्रथम चरण में जेट्रोफा, अश्वगंधा, सतावर, गुड़मार, गिलोय, सफेद मूसली आदि विभिन्न जड़ी बूटियां लगा कर यह उद्यान शुरू किया गया है। आगामी दो से तीन माह में इसमें 100 से अधिक दुर्लभ लोक औषधियों को जोड़ दिया जाएगा। इन औषधियों का लाभ स्थानीय लोग भी उठा सकते हैं। इस उद्यान इनसे जुड़ी जानकारी, उनसे होने वाले लाभ, बनाए जाने वाले औषधि तत्व आदि की जानकारी ज्ञानी और गुणियों द्वारा ही दी जाएगी। इस योजना में शिल्पग्राम में एक अलग से विभाग से शुरू किया जाएगा। जहां से पर्यटकों और अन्य निवासियों को इस लोक औषधियों की विस्तृत जानकारी के साथ लाभ भी मिल सकेगा।
दुर्लभ लोक औषधियों के इस पहले संग्रह के प्रथम चरण में जेट्रोफा, अश्वगंधा, सतावर, गुड़मार, गिलोय, सफेद मूसली आदि विभिन्न जड़ी बूटियां लगा कर यह उद्यान शुरू किया गया है। आगामी दो से तीन माह में इसमें 100 से अधिक दुर्लभ लोक औषधियों को जोड़ दिया जाएगा। इन औषधियों का लाभ स्थानीय लोग भी उठा सकते हैं। इस उद्यान इनसे जुड़ी जानकारी, उनसे होने वाले लाभ, बनाए जाने वाले औषधि तत्व आदि की जानकारी ज्ञानी और गुणियों द्वारा ही दी जाएगी। इस योजना में शिल्पग्राम में एक अलग से विभाग से शुरू किया जाएगा। जहां से पर्यटकों और अन्य निवासियों को इस लोक औषधियों की विस्तृत जानकारी के साथ लाभ भी मिल सकेगा।
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