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राजीव गांधी आवास योजना के अन्तर्गत राजस्थान के छह बड़े शहरों का चयन

शहरी इलाकों को झुग्गी झोपड़ियों से मुक्ति दिलाने और गरीबों को घर देने की मदद के लिए भारत सरकार ने एक लाख से अधिक की आबादी वाले 250 शहरों में महत्त्वाकांक्षी राजीव गांधी आवास योजना के पहले चरण को लागू किया गया है। योजना से झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले तीन करोड़ से अधिक लोगों को फायदा मिलेगा। सरकार ने इन शहरी गरीबों को आवास ऋण उपलब्ध कराने के लिए 1,000 करोड़ रुपए का एक आवास ऋण जोखिम गारंटी कोष बनाने का भी निर्णय किया है। इससे गरीबों को बैंकों से आवास ऋण दिलाने में मदद मिलेगी। योजना में राज्य सरकारों के साथ साथ निजी डेवलपर्स को भी जोड़ा जाएगा। एक महत्वपूर्ण फैसले के तहत इस योजना में बनने वाले मकानों का संपत्ति अधिकार उनके मालिकों को दिया जाएगा।

प्रदेश में इस योजना के तहत छ: बड़े शहरों जयपुर, जोधपुर, कोटा, अजमेर, बीकानेर एवं उदयपुर का चयन किया गया है तथा इनमें राजीव आवास योजना का कार्य शुरू कर दिया गया है। इसके लिए इन शहरों में कच्ची बस्तियों के सर्वे का कार्य अंतिम चरण में है।

राज्य के इन छह बड़े शहरों को स्लम मुक्त करने के लिए आगामी पांच वर्षों में राज्य कोष पर 2900 करोड़ रू. का अतिरिक्त भार पड़ेगा।

राज्य के स्वायत्त शासन मंत्री श्री शांति धारीवाल ने दिनांक 30 जुलाई को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में राजीव आवास योजना पर राज्यों के शहरी विकास मंत्रियों के सम्मेलन में सुझाव दिया कि राजीव गांधी आवास योजना के लिए एकीकृत आवास एवं स्लम डवलपमेंट (आई.एच.एस.डी.पी.) कार्यक्रम के पैटर्न पर केंद्रीय अंशदान को 50 प्रतिशत बढ़ाकर 80 प्रतिशत किया जाना चाहिए। साथ ही योजना की क्रियान्वति के लिए केंद्र से एक मुश्त राशि देने के अलावा राज्यों को इसे लागू करने के लिए पूरी छूट प्रदान करनी चाहिए।
श्री धारीवाल ने बताया कि राज्य के छह शहरों की स्लम मुक्त नगर योजना बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत 562.30 लाख रू. की राशि में से प्रथम किश्त के रूप में 281.15 लाख रुपए की राशि प्राप्त हो चुकी है।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत का सपना है कि देश में शिक्षा के अधिकार और खाद्य सुरक्षा आदि के समान ही ‘‘राईट टू शेर्ल्टर’’ कानून भी बने, ताकि देश के हर परिवार को अपना घर सुलभ हो सके।

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