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राजस्थान की योजनाएँ-
जननी शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम

जनसंख्या स्थिरीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए परिवार नियोजन के साथ साथ शिशु व मातृ मृत्युदर को कम करना आवश्यक है। शिशु व मातृ मृत्युदर को कम करने के लिए यह आवश्यक है कि प्रसव संस्थागत (अस्पताल में) हो। संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहित करने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रही है जिनमें एक "जननी शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम" है।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा समाचार पत्रों में प्रकाशित जानकारी के अनुसार प्रदेश में शिशु व मातृ मृत्युदर को कम करने के उद्देश्य से शुरू किए गए "जननी शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम" के अन्तर्गत निम्नांकित प्रमुख सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाने का प्रावधान है-

> समस्त गर्भवती महिलाओं को राजकीय चिकित्सा संस्थानों में डिलीवरी के लिए जाने एवं पुनः अपने घर लौटने हेतु निःशुल्क परिवहन व्यवस्था सुलभ कराई जाएगी।

> इस कार्यक्रम में समस्त प्रसूताओं को निःशुल्क दवाइयां, निःशुल्क जांच सुविधा, निःशुल्क रक्त चढ़ाने से संबंधित समस्त जांच व उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे।

> सामान्य डिलीवरी की स्थिति में प्रसूताओं एवं नवजात शिशुओं को तीन दिन एवं सिजेरियन डिलीवरी की स्थिति में 7 दिन तक अस्पताल में रखकर निःशुल्क गर्म भोजन भी उपलब्ध कराया जाएगा।

> इसके अंतर्गत नवजात शिशुओं को 30 दिन की अवधि तक राजकीय चिकित्सा संस्थान में लाने-ले जाने के लिए परिवहन, दवा, जांच इत्यादि की निःशुल्क व्यवस्था की जाएगी।

प्रदेश में शिशु व मातृ मृत्युदर को कम करने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम को पूर्ण गम्भीरता से लागू किया जा रहा है। प्रदेश में शिशु मृत्युदर 65 से कम होकर अब 59 हो गई है। इसमें और कमी लाने के लिए व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं। लगभग दो-तिहाई नवजात शिशुओं की मृत्यु उनके जन्म के 24 घंटे की अवधि में ही हो जाती है। इस समस्या को हल करने का प्रयास इसमें किया जाएगा।

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