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सूरज के रहस्यों को खोलती उदयपुर की सौर वैधशाला-

सौर अनुसंधान के क्षेत्र में विश्व प्रसिद्ध 'उदयपुर सौर वैधशाला { यू. एस. ओ. }' भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत अहमदाबाद में कार्यरत 'भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला {पी. आर. एल. }' की एक यूनिट के रूप में संचालित है।

उदयपुर सौर वेधशाला उदयपुर की प्रसिद्ध फतहसागर झील के मध्य एक टापू पर स्थित है तथा इसका मुख्य भवन इस झील के उत्तर पश्चिम में रानी रोड़ पर स्थित है। उदयपुर के आकाश की स्थिति सूर्य के अवलोकन या प्रेक्षण के लिए उपयुक्त है, इसी कारण इसकी स्थापना यहाँ की गई थी। इसे पानी के अंदर स्थापित करने का कारण यह है कि सूर्य अध्ययन के उपयोग में लिए जाने वाले दूरदर्शी के चारों ओर पानी होने से सतह की परतें सूर्य की गर्मी से कम गर्म हो पाती है, फलस्वरूप हवा में परिवर्तन या डिस्टर्बेंस कम होते हैं और दूरदर्शी से सूर्य के चित्र अच्छी क्वालिटी के प्राप्त होते हैं। इस कारण सूर्य के प्रकाश मंडल या फोटोस्फीयर तथा वर्णमंडल या क्रोमोस्फीयर में होने वाली हलचल व सूर्य की सतह पर होने वाली घटनाओं का अधिक अच्छी तरह से अध्ययन कर समझा जा सकता है।

इस वेधशाला में सूर्य में होने वाली घटनाओं यथा सौर कलंकों, सौर ज्वालाओं, विस्फोटों और उनके पृथ्वी पर प्रभाव आदि के अलावा सूर्य के वर्णक्रम, सूर्य ग्रहण आदि के बारे में अनुसंधान किया जाता है।


उदयपुर सौर वेधशाला में स्थापित दूरदर्शी-

1. Full Disk H-alpha Telescope-

यह एक 6 फुट लंबा दूरदर्शी है जिसके लेंस का द्वारक { aperture } 15 सेमी है। यह दूरदर्शी लगातार मॉनीटरिंग के लिए CCD कैमरा तथा मॉनीटर से जुड़ा है।

2. H-alpha Spar Telescope-

यह एक 12 फुट लंबा दूरदर्शी है जिसके लेंस का द्वारक { aperture } 25 सेमी है। यह दूरदर्शी सूर्य के वर्णमंडल की संरचना के अध्ययन में उपयोगी है।

3. Solar Vector Magnetograph (SVM)-

यह यहीं इसी प्रयोगशाला में बनाया गया उपकरण है तथा इसे फतह सागर झील के टापू में लगाया गया है। इसमें एक 20 सेमी द्वारक का लेंस है तथा एक स्पेक्ट्रॉ पोलैरीमीटर { ध्रुवणमापी } लगा है जो सूर्य के स्पेक्ट्रम के माध्यम से इसके अध्ययन में अत्यंत उपयोगी है। इसका उद्घाटन 2007 में इसरो के अध्यक्ष जी. माधवन नायर ने किया था।

4. Coude' Telescope-

यह 15 सेमी द्वारक का दूरदर्शी है जिसे वेधशाला के मुख्य भवन में स्थित एडप्टिव ऑप्टिक्स प्रयोगशाला के अध्ययन के लिए उपयोग में लिया जाता है। यह दूरदर्शी सूर्य के साथ स्वतः घूम कर सूर्य की दिशा में आ जाता है।

5. G.O.N.G. telescope-

यह उदयपुर सौर वेधशाला के इतिहास के लिए एक मील के पत्थर का क्षण था जब अक्टूबर 1995, में GONG दूरदर्शी लगाया गया। इस कार्य ने इस वेधशाला को विश्व के मानचित्र पर विशिष्ट पहचान दिलाई। GONG का पूरा नाम Global Ossilation Network Group है। इस नेटवर्क ग्रुप का मुख्यालय संयुक्त राज्य अमेरिका में है। इस प्रोजेक्ट में चौबीसों घंटे सूर्य को देखते रहने के लिए संपूर्ण विश्व में छः दूरदर्शी लगाए गए हैं। इन छः स्थानों में से एक साइट उदयपुर सौर वेधशाला का चयन भी इसके सूर्य के प्रेक्षण की उत्कृष्टता व बेहतर आकाश स्थिति के कारण हुआ। इसके लिए इस वेधशाला को दुनिया के 15 स्थानों से मुकाबला करना पड़ा था। GONG परियोजना के तहत स्थापित छः स्थानों में उदयपुर के अलावा केनेडी द्वीप स्पेन, CTIO (चिली), बिग बियर (USA), हवाई (USA) तथा लीयरमंथ (ऑस्ट्रेलिया) है जिनसे चौबीसों घंटे लगातार सूर्य का अवलोकन किया जा सकता है। यह पूरी तरह से स्वचालित कंप्यूटरीकृत दूरदर्शी व कैमरा सिस्टम है जिससे प्रतिमिनट सूर्य की तस्वीरें रिकॉर्ड की जाती है। यह दूरदर्शी सूर्य के उगने के साथ ही चालू हो जाता है तथा सूर्य अस्त होने पर बंद होता है। सूर्य के आंतरिक संरचना को जाँचने के लिए स्थापित इस परियोजना के तहत लगा उपकरण 1.5 मिलियन डॉलर लागत का है। इस वेधशाला एवं अन्य पाँच GONG से प्राप्त आँकड़ों को टक्सन, अमेरिका स्थित नेशनल सोलर ऑब्जरवेटरी में मिलाया जाता है तथा सूर्य की आंतरिक संरचना के रहस्योँ पता लगाने में उपयोग में लिया जाता है।

"मस्त MAST" एक भावी परियोजना-

मस्त अर्थात् Multi Application Solar Telescope - MAST उदयपुर सौर वेधशाला का जल्दी ही फतहसागर तालाब के टापू बनाई जा रहे नए वेधशाला भवन में लगाया जाने वाला एक 50 सेमी का बहु उपयोगी सोलर दूरदर्शी है।
यह मुख्यत: सूर्य के प्रकाशमंडल एवं वर्णमंडल से क्रमशः उत्सर्जित होने वाली Fe-I की 617.3 nm तरंग देर्ध्य तथा Ca-II की 854.2 nm तरंग देर्ध्य के अध्ययन के लिए स्थापित किया जा रहा है। यह दूरदर्शी बेल्जियम में विकसित किया गया है।

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