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समसामयिक घटना चक्र

विश्व का प्रथम होम्योपैथी विश्वविद्यालय जयपुर में शुरू-

विश्व के पहले होम्योपैथी विश्वविद्यालय की शुरूआत दिनांक 2 अप्रैल को जयपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा की गई। यह विश्वविद्यालय जयपुर जिले की सांगानेर तहसील के सायपुरा गांव में विश्वविद्यालय बनाया गया है। यह गौरतलब है कि सरकार ने वर्ष 2010- 11 के बजट में होम्योपैथिक निदेशालय स्थापित किया जिससे तहत एक स्वतंत्र निदेशालय ने कार्य करना आरंभ कर दिया है। > केन्द्रीय होम्योपैथी परिषद, नई दिल्ली के अध्यक्ष डा. रामजी सिंह के अनुसार इस विश्वविद्यालय में अभी तक तीन विषयों की एमडी की पढ़ाई करवाई जा रही है तथा शीघ्र ही तीन अन्य विषयों में भी एमडी शुरू की जाएगी।

राजस्थान को मिले दो राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार

पर्यटन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए राजस्थान को दो श्रेणी में राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। नई दिल्ली में 29 मार्च को लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती मीरा कुमार से राजस्थान की पर्यटन, कला एवं संस्कृति मंत्री श्रीमती बीना काक ने ये राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार ग्रहण किए। ये पुरस्कार निम्नानुसार है -

1. पर्यटन प्रोत्साहन प्रचार साहित्य प्रकाशन के उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रथम पुरस्कार

2. पर्यटन के क्षेत्र में राज्यों की श्रेणी में पर्यटन संबंधी कार्यक्रमों एवं आधारभूत सुविधाओं के विकास के लिए तृतीय पुरस्कार।

राजस्थान को अन्य श्रेणियों में भी मिले पुरस्कार -

1. ‘पांच सितारा होटल’ श्रेणी में भी श्रेष्ठ होटल का अवार्ड जयपुर के जय महल पैलेस होटल को प्रदान किया गया।

2. ‘बेस्ट हेरीटेज होटल’ बेसिक श्रेणी में जयपुर के निकट स्थित सामोद हवेली को पुरस्कृत किया गया।

चित्तौड़गढ़ का जौहर श्रद्धांजलि समारोह

वीरता, स्वाधीनता, त्याग एवं बलिदान के लिए विश्व विख्यात भक्ति, शक्ति की धरा चित्तौड़गढ़ में तीन दिवसीय जौहर श्रद्धांजलि समारोह 28 मार्च से 30 मार्च तक आयोजित किया गया। प्रतिवर्ष चैत्र कृष्णा एकादशी को होने वाला मुख्य समारोह 30 मार्च को संपन्न हुआ। जौहर स्मृति संस्थान के तत्वावधान में आयोजित किए जाने वाले इस समारोह में 28 मार्च को प्रातः महाराणा सांगा स्मृति पारम्परिक ग्रामीण एवं जनजाति खेलकूद प्रतियोगिता से समारोह का आगाज हुआ। जूनियर व सीनियर वर्ग के लिए, म्यूजिकल चेयर रेस, रूमाल झपट्टा , खो-खो, मेहन्दी, रस्साकसी, घुड़सवारी नृत्य, रेवाल चाल व सुन्दर घोड़ी प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। अगले दिन 29 मार्च को एथलेटिक्स, स्नेप शूटिंग, तीरदांजी एवं परम्परागत खेलकूद आयोजित किए गए। शाम को घुड़चाल, घुड़सवारी आयोजित की गई। इसी दिन रात्रि में जौहर भवन में सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ।
मुख्य समारोह में 30 मार्च को सवेरे भीलवाड़ा मार्ग स्थित श्री भूपाल राजपूत छात्रावास से विशाल शोभायात्रा से शुरू हुआ जिसमें हजारों लोग भाग लिया। सजे धजे ऊंट, दर्जनों घोड़ों व राजपूती परिधानों में सजे सैकड़ों लोगों की मौजूदगी वाली शोभायात्रा में मेवाड़ी गीतों की स्वरलहरियों के साथ भगवान एकलिंगनाथ, महाराणा प्रताप, जौहर करने वाली वीरांगनाओं की छवि वाली झांकियाँ सजी हुई चल रही थी। शोभायात्रा शहर के प्रमुख मार्गों से होती हुई विश्व प्रसिद्ध चित्तौड़ दुर्ग पर पहुँची, जहाँ बलिदानी शूरमाओं के स्मारकों का पूजन किया गया। इस समारोह में एक यज्ञ भी किया गया जिसकी पूर्णाहुति शोभायात्रा के बाद की गई। दोपहर को दुर्ग स्थित फतह प्रकाश महल प्रांगण मे मुख्य श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया गया। इसके राज्य विधानसभा के अध्यक्ष दीपेन्द्रसिंह शेखावत जौहर श्रद्वांजलि समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में तथा अतिविशिष्ट अतिथि रघुवीरसिंह सिरोही और विशिष्ट अतिथि राज्य के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री भरतसिंह के अलावा महिला आयोग की चेयर पर्सन व सांसद डा. गिरिजा व्यास, धर्मगुरू सहजधाम बरखेड़ी जावरा मध्यप्रदेश के श्रीप्रकाशानंद महाराज, विधायक सुरेन्द्र सिंह जाडावत, जौहर संस्थान अध्यक्ष उम्मेदसिंह धौली आदि ने समारोह को संबोधित किया व जौहर श्रद्धांजलि दी। समारोह में समाजसेवा के अलावा शैक्षणिक गतिविधियों में अव्वल रही प्रतिभाओं को सम्मानित करने के अलावा भामाशाह व रानी पद्मिनी सम्मान भी दिया गया।

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Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

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