Skip to main content

राजस्थान सरकार का मंत्रिमण्डल

मुख्यमंत्री

श्री अशोक गहलोत‌-

मुख्यमंत्री के पास अन्य मंत्रालय प्रभार-

वित्‍त एवं करारोपण, आयोजना, नीति निर्धारण, कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं समन्‍वय, मंत्रिमण्‍डल सचिवालय, राजस्‍थान राज्‍य अन्‍वेषण ब्‍यूरो, सामान्‍य प्रशासन विभाग, सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता, खादी एवं ग्रामोद्योग, नागरिक उड्डयन विभाग।


मंत्रीगण-

1. श्री एमादुद्दीन अहमद खान 'दुर्रू मियां'

चिकित्‍सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य, परिवार कल्‍याण, आयुर्वेद, चिकित्‍सा शिक्षा

2 श्रीमती बीना काक

महिला एवं बाल विकास, पर्यटन, कला, संस्‍कृति एवं पुरातत्‍व, मुद्रण एवं लेखन सामग्री

3. श्री भरत सिंह

ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज

4. श्री बृज किशोर शर्मा

यातायात, संस्‍कृत शिक्षा, भाषा एवं भाषायी अल्‍पसंख्‍यक, देवस्‍थान (अतिरिक्‍त प्रभार)

5. श्री हरजीराम बुरडक

कृषि, पशुपालन, मत्‍स्‍य

6. श्री हेमाराम चौधरी

राजस्‍व, उपनिवेशन, सैनिक कल्‍याण


7. डॉ. जितेन्‍द्र सिंह

ऊर्जा एवं ऊर्जा के वैकल्पिक स्‍त्रोत, सूचना प्रौद्योगिकी एवं समन्‍वय, उच्‍च शिक्षा (अतिरिक्‍त प्रभार)

8. श्री महेन्‍द्रजीत सिंह मालवीय

जनजाति क्षेत्रीय विकास,तकनीकी शिक्षा, अभियोग निराकरण, अभियांत्रिकी शिक्षा (अतिरिक्‍त प्रभार)

9. श्री महिपाल मदेरणा

जल संसाधन, इंदिरा गांधीनहर परियोजना, जन स्‍वास्‍थ्‍य अभियांत्रिकी, भू‍जल एवं सिंचित क्षेत्रिय विकास

10. श्री मास्‍टर भंवरलाल मेघवाल

प्राथमिक शिक्षा, माध्‍यमिक शिक्षा, श्रम एवं नियोजन

11. श्री परसादीलाल मीणा

सहकारिता, गृह रक्षा एवं नागरिक सुरक्षा

12. श्री राजेन्‍द्र पारीक

उद्योग, अप्रवासी भारतीय, राजकीय उपक्रम, आर्थिक एवं सांख्यिकी, आबकारी (अतिरिक्‍त प्रभार)

13. श्री शांति कुमार धारीवाल

गृह, विधि एवं न्‍याय, संसदीय कार्य, नगरीय विकास एवं आवासन (अतिरिक्‍त प्रभार), स्‍वायत्‍त शासन (अतिरिक्‍त प्रभार)


राज्य मंत्री गण

1. श्री अशोक बैरवा

सूचना एवं जन सम्‍पर्क (स्‍वतंत्र प्रभार), राज्‍य बीमा (स्‍वतंत्र प्रभार), निर्वाचन (स्‍वतंत्र प्रभार), यातायात, संस्‍कृत शिक्षा, भाषायी अल्‍पसंख्‍यक, देवस्‍थान

2. श्री बाबूलाल नागर

खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, डेयरी

3. श्री भरोसी लाल जाटव

मोटर गैराज (स्‍वतंत्र प्रभार), सम्‍पदा (स्‍वतंत्र प्रभार), कृषि, पशुपालन, मत्‍स्‍य

4. श्री ब्रिजेन्‍द्र सिंह ओला

आपदा प्रबन्‍धन एवं सहायता (स्‍वतन्‍त्र प्रभार), सहकारिता


5. श्रीमती गोलमा देवी

खादी एवं ग्रामोद्योग, गृह रक्षा एवं नागरिक सुरक्षा

6. श्री गुरमीत सिंह कुन्‍नर

कृषि विपणन (स्‍वतंत्र प्रभार), जल संसाधन, इन्दिरा गांधी नहर परियोजना, जन स्‍वास्‍थ्‍य अभियांत्रिकी, भू-जल, सिंचित क्षेत्रीय विकास

7. श्री मांगीलाल गरासिया

युवा मामले एवं खेल ( स्‍वतंत्र प्रभार ) , प्राथमिक शिक्षा, माध्‍यमिक शिक्षा, श्रम एवं नियोजन

8. श्री मुरारी लाल मीणा

तकनीकी शिक्षा कृषि ( स्‍वतन्‍त्र प्रभार ) राजस्‍व, उपनिवेशन एवं सैनिक कल्‍याण

9. श्री प्रमोद जैन ( भाया )

सार्वजनिक निर्माण विभाग

10. डॉ. राजकुमार शर्मा

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (स्‍वतन्‍त्र प्रभार), चिकित्‍सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य, परिवार कल्‍याण, आयुर्वेद, चिकित्‍सा शिक्षा

11. श्री राजेन्‍द्र सिंह गुढा

आयोजना ( जनशक्ति ) स्‍वतन्‍त्र प्रभार, पर्यटन, कला साहित्‍य एवं संस्‍कृति, पुरातत्‍व तथा मुद्रण एवं लेखन सामग्री

12. श्री रामकिशोर सैनी

कारागार (स्‍वतंत्र प्रभार), सामाजिक न्‍यायएवं अधिकारिता

13. श्री रामलाल जाट

वन एवं पर्यावरण, खनिज (अतिरिक्‍त प्रभार)



संसदीय सचिव

1. श्री ब्रह्मदेव कुमावत

2. श्री दिलीप चौधरी

3. श्री गिरिराज सिंह मलिंगा

4. श्री नानालाल नीनामा

5. श्री रमेश चन्‍द मीणा

6. श्री रामकेश मीणा

Comments

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली