Skip to main content

The Mahi Bajaj Sagar Project - माही बजाज सागर परियोजना-






यह राजस्थान एवं गुजरात की संयुक्त परियोजना है। इसका नाम प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी जमनालाल बजाज के नाम पर रखा गया था। मध्यप्रदेश के धार जिले में विंध्यांचल श्रेणी के उत्तरी ढाल से निकल कर माही नदी लगभग 169 किलोमीटर मध्यप्रदेश बहने के पश्चात बांसवाड़ा के निकट राजस्थान में प्रवेश करती है। तत्पश्चात यह नदी राजस्थान में 171 किलोमीटर बहन के पश्चात गुजरात राज्य में बहती हुई खम्भात की खाड़ी में गिरती है। इस नदी का अपवाह क्षेत्र अर्द्ध शुष्क एवं पथरीला है। यहाँ सिंचाई हेतु कुँओं की खुदाई करना बहुत कठिन कार्य है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए यहां इस परियोजना को विकसित किया गया। यह परियोजना राजस्थान एवं गुजरात  की संयुक्त परियोजना है,जिसके निर्माण हेतु दोनों राज्यों में 1966 में एक समझौता हुआ था। सन 1971 में केन्द्रीय जल आयोग द्वारा परियोजना को स्वीकृति प्रदान की गई तथा इसका निर्माण 1972 में प्रारंभ हुआ था, जिसे नवम्बर, 1983 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया।
1966 में हुए समझौते के अनुसार राजस्थान का हिस्सा 45 प्रतिशत व गुजरात का हिस्सा 55 प्रतिशत है। बांसवाड़ा जिला जो पिछड़ा, आदिवासी ऊबड़-खाबड़ किन्तु नदी घाटियों से परिपूर्ण था, में माही बजाज सागर परियोजना की क्रियान्विति के कारण एक नए युग का सूत्रपात हुआ।
परिणामस्वरूप यह परियोजना विभिन्न क्षेत्रों जैसे - कृषि उत्पादन में वृद्धि, खनन व्यवसाय का विकास, उद्योगों की स्थापना, वृक्षारोपण, मृदा संरक्षण, चारागाह का विकास आदि  उद्देश्यों की पूर्ति में सहायक सिद्ध हुई।
माही नदी पर बोरखेड़ा गांव के निकट बाँसवाड़ा से 16 किलोमीटर की दूरी पर मुख्य बांध बनाया गया है। बांध की लम्बाई 3109 मीटर तथा फाउंडेशन लेवल से इसकी ऊँचाई 74.5 मीटर है, जिसका 55 प्रतिशत निर्माण खर्च गुजरात सरकार ने वहां किया है, तथा शेष 45 प्रतिशत राजस्थान सरकार द्वारा वहां किया गया है। इसका कुल जल संग्रहण क्षेत्र लगभग 6,149 वर्ग किलोमीटर (2,374 sq mi) है, जिसमें से मध्यप्रदेश में 4350 वर्ग किमी तथा राजस्थान में 1809 वर्ग कि.मी. है। इस बांध में चार दरवाजे बाढ़ के अधिक पानी को निकालने के लिए लगाए गए हैं। इस बाँध की कुल जल संग्रहण क्षमता 2070 मिलीयन घनमीटर है। बांसवाड़ा के समीप कागदी पिकअप वियर से सिंचाई के लिए दो मुख्य नहरें - दाईं व बाईं नहर निकाली गई है, जिनकी लम्बाई क्रमशः 71.22 किलोमीटर एवं 36.12 किलोमीटर है। इसकी वितरिकाओं की कुल लंबाई लगभग 854 किलोमीटर है। इस योजना के माध्यम से राजस्थान एवं गुजरात में आठ-आठ लाख हैक्टेयर भूमि पर सिंचाई सुविधा प्राप्त करते हैं। इस योजना के तहत दो बिजली स्टेशन अर्थात माही प्रथम और माही II का निर्माण किया गया है। माही प्रथम पावर हाउस माही बांध पर हैगपुरा गांव के समीप स्थित है, जिसमें 25 मेगावाट की 2 इकाइयां हैं। माही द्वितीय पावर हाउस बांध स्थल से 45 किमी की दूरी लिलवानी पर स्थित है, जिसमें 45 मेगावाट की 2 इकाइयां हैं। माही द्वितीय पावर हाउस माही प्रथम पावर हाउस के अपस्ट्रीम के पश्च पानी का उपयोग करता है। इस परियोजना में गुजरात के पंच महल जिले में माही नदी पर कड़ाना बांध का निर्माण किया गया है। इस परियोजना से डूंगरपुर व बांसवाड़ा जिलों की कुछ तहसीलों को जलापूर्ति होती है।
बाँध की मुख्य विशेषताएँ
#

1Dam NameMahi Bajaj Sagar Dam
2Dam Name Alias
3RiverMahi
4Nearest CityBanswara
5DistrictPratapgarh
6StateRajasthan
7BasinMahi
8StatusCompleted
9Purpose of DamHydroelectric,Irrigation
10Year of Commencement (YYYY)
11Year of Completion (YYYY)1985
12Operating & Maintainance AgencyWRD,Govt. of Rajasthan
13Dam (Interstate/ International)Interstate
14Dam's (Interstate/ International) Agreement
15Dam as per Parliamentary ConstituencyBanswara
16Seismic ZoneSeismic Zone-II
17Type of DamEarthen/ Gravity & Masonry
18Length of Dam (m)3109
19Max Height above Foundation (m)74.5
20Instrumentation Embeded in Dam
21Total Volume Content of Dam (TCM)
22Design Flood (cumec)25598.43
23Type of SpillwayOgee
24Length of Spillway (m)300
25Crest Level of Spillway (m)268.5
26Spillway Capacity (cumec)23270
27Type of Spillway GatesRadial
28No. of Spillway Gates16
29Size of Spillway Gates (m x m)15.24 x 13.1064
30Mode of Operation
31Type of Energy Dissipation
32No. of River Sluice
33Sluice Purpose
34Size of Sluice (m x m)
35Remarks
36NRLD No.RA11HH0119




Salient Features of Mahi - I Power House माही प्रथम पॉवर हाउस की विशेषताएँ
1Name of PowerhouseMahi - I Power House
2Name of Powerhouse Alias
3StateRajasthan
4BasinMahi
5Hydroelectric BasinCentral Indian Basins
6Seismic ZoneSeismic Zone-II
7Hydroelectric Development TypeStorage
8Structure TypeDam
9Position of PowerhouseDam Toe
10TypeSurface
11Status of PowerhouseOperational
12Completion Year1986
13Pumped StorageNo
14Operating & Maintainance Agency
15Net Maximum/ Minimum Head (m)50/26
16MDDLMinimum Draw Down Level for Powerhouse (m)259
17Annual Design Energy (MU)105
18Firm Power (MW)15
19No. of Turbines2
20Capacity per Turbine (MW)25
21Total Installed Capacity (MW)50
22Head Class of TurbineMedium (Between 15 - 60 m)
23Water Conductor System (km)
24Type of TurbineFrancis
25Turbine MakeBHEL India
26Rated Head (m)40
27Specific Speed (mhp)
28Rated Speed (rpm)150
29Generator MakeBHEL India
30No. of Penstock2
31Length of Penstock (m)98
32Penstock Size (m) - Internal Diameter4.2
33Design Discharge through each Penstock (cumec)-Flow71
34RemarksPH Location is on surface, Length of pan stock 92
is also given



Salient Features Mahi - II Power House माही द्वितीय पॉवर हाउस की विशेषताएँ
1Name of PowerhouseMahi - II Power House
2Name of Powerhouse Alias
3StateRajasthan
4BasinMahi
5Hydroelectric BasinCentral Indian Basins
6Seismic ZoneSeismic Zone-II
7Hydroelectric Development TypeRun of the River Small Pondage
8Structure TypeDam
9Position of PowerhouseOthers
10TypeSurface
11Status of PowerhouseOperational
12Completion Year1989
13Pumped StorageNo
14Operating & Maintainance Agency
15Net Maximum/ Minimum Head (m)85.5/57.5
16MDDLMinimum Draw Down Level for Powerhouse (m)217.5
17Annual Design Energy (MU)189
18Firm Power (MW)23
19No. of Turbines2
20Capacity per Turbine (MW)45
21Total Installed Capacity (MW)90
22Head Class of TurbineMedium (Between 15 - 60 m)
23Water Conductor System (km)40
24Type of TurbineFrancis
25Turbine MakeBHEL India
26Rated Head (m)85.5
27Specific Speed (mhp)
28Rated Speed (rpm)250
29Generator MakeBHEL India
30No. of Penstock2
31Length of Penstock (m)370
32Penstock Size (m) - Internal Diameter5
33Design Discharge through each Penstock (cumec)-         Flow

Comments

Post a Comment

Your comments are precious. Please give your suggestion for betterment of this blog. Thank you so much for visiting here and express feelings
आपकी टिप्पणियाँ बहुमूल्य हैं, कृपया अपने सुझाव अवश्य दें.. यहां पधारने तथा भाव प्रकट करने का बहुत बहुत आभार

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली