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Metalic Minerals of Rajasthan (राजस्थान के धात्विक खनिज)-






1. Copper Reserves (ताम्र भंडार)-

S.No.
District
Area
1
Ajmer
1.      Hanotiya
2.      Sawar
2
Alwar
Bhagoni
3
Bharatpur
Khankhera & Ker
4
Bhilwara
1.      Pur-Dariba
2.      Banera (Forest Block)
3.      Devpura - Banera Block
4.      Dev-Talai
5
Chittorgarh
1.      Wari
2.      Akola
6
Dunagpur
Padar Ki Pal
7
Jhunjhunnu
1.      Kolihan Central Block
2.      Banwasa
3.      Dholamala
4.      Chinchori
5.      Satkui
6.      Surhari
7.      Tunda
8.      Karmari
9.      Madan Kudan
10.  Akawali
8
Rajsamand
1.      Majera, 
2.   Karoli
3.      Gopakura Blocks
9
Sikar
Baleshwar
10
Sirohi
1.      Golia
2.      Pipela
3.      Deri
4.      Basantgarh
11
Udaipur
1.      Anjani
2.      Bedawal Ki Pal
3.      Chhani
4.      Nandvel - Akodra

2. Lead, Zinc & Silver Reserves (सीसा, जस्ता तथा चांदी संग्रह)-

S.No.
District
Area
1
Ajmer
       1.      Ghugra belt 
       2.      Kayar
       3.      Tikhi
2
Bhilwara    
        1.      Rampura-Agucha
        2.      Tiranga
        3.      Samodi
        4.      Dewas South
        5.      Devpura
        6.      Rewara
3
Rajsamand
1.      Rajpura-Dariba
2.      Mokhampura
3.      Bamania
4.      Sindesar Khurd
5.      Sindesar Kalan
4
Udaipur
Zawar group of mines


3. Tungsten Reserves (टंगस्टन भंडार)-

S.No.
District
Area
1
Nagaur
Degana
2
Sirohi
1.       Balda
2.      Khera-Uparla
3.      Dewa-Ka-Bera

4.     Manganese Reserves (मैंगनीज भंडार)-

S.No.
District
Area
1
Banswara
1.      Siwaniya
2.       Kala Khunta
3.      Ghatia
4.      Tambesra-Bhatra
5.       Itala
6.      Rupa-Khedi
7.      Kheria

5.     Iron-Ore Reserves (लौह भंडार)-

S.No.
District
Area
1
Bhilwara
Pur-Banera
2
Dausa
1.      Morija
2.      Lalsot
3
Jaipur
1.      Nimla
2.      Ravsola, Bomani
3.      Dabla
4
Udaipur
Nathara Ki Pal

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Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

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