आज अत्यंत हर्ष का विषय है कि इस ब्लॉग ने 1 लाख पेज प्रिव्यू के आँकड़े को पार किया है। हमने यह प्रयास गत वर्ष दिसंबर माह में उस समय प्रारंभ किया था जब हमने ये पाया कि राजस्थान के बारे में इंटरनेट पर हिंदी में सामग्री का अभाव है। धीरे धीरे हम प्रयास करते गए और एक वर्ष में लगभग 400 पोस्ट आपके लिए लिखे जिसमें राजस्थान की कला व संस्कृति के अतिरिक्त राजस्थान सामान्य ज्ञान, राजस्थान समसामयिक घटना चक्र, राजस्थान की कल्याणकारी योजनाएँ तथा क्विज पर पोस्ट प्रकाशित किए गए। कंप्यूटर के अभाव के कारण ये लगभग सभी पोस्ट मोबाइल से ही तैयार किए गए। मोबाइल से तैयार करने के इस कार्य में अत्यंत श्रम लगा। इस बीच उस समय हमें नकारात्मक उत्प्रेरणा मिली जब कतिपय वेबसाइटस और ब्लॉग ने हमारी अत्यंत मेहनत से तैयार की गई तथा इस ब्लॉग पर प्रकाशित सामग्री को कॉपी करके अपने वहाँ प्रकाशित कर दिया। इसने मानसिक रूप से हमें उद्वेलित कर दिया किंतु कुछ ही दिनों बाद इससे उबर कर हमने पुनः लिखना जारी किया तथा आज इस मुकाम पर कदम रखा है। एक लाख की पेज प्रिव्यू के जादुई आँकड़े को पार करने में आप सभी पाठकों का स्नेह परिलक्षित हो रहा है। आपका हार्दिक धन्यवाद कि आपको हमारा यह प्रयास पसंद आया। इस ब्लॉग का मकसद राजस्थान के हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों को उत्कृष्ट सामग्री निःशुल्क उपलब्ध कराना ही रहा है। आप जैसे सुधी पाठकों के पसंद करने से ही हमारा उत्साह बढ़ा है। एक वर्ष के इस सफर में इस वेब पत्रिका ने इस नए मुकाम को छुआ। करने को अभी बहुत कुछ बाकी है किंतु संसाधनों और समय के अभाव में उस गति से नहीं कर पा रहें हैं जिसकी हमें आशा है। फिर भी प्रयास जारी है। आशा है आपका स्नेह और संबल निरंतर बना रहेगा। आप अपने सुझावों से हमें अवश्य अवगत कराएँ।
हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम जाता है। हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था। हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की। हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा । वर्षा ऋत...
आप बधाई के पात्र है,जो हमें इतनी अच्छी जानकारी प्रदान कराते है।
ReplyDeleteमानकराम जी आपकी बधाई के लिए धन्यवाद। आपके स्नेह से ही यह सब संपन्न हुआ है।
ReplyDeleteआपको बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteधन्यवाद जी।
ReplyDeleteशिव जी, पसंद करने और सराहना करने के लिए आपका अत्यंत ही आभार। इसी प्रकार स्नेह की अभिवृष्टि करते रहें।
ReplyDeletethank you
ReplyDeleteब्लॉग पर पधारने तथा सराहना करने के लिए आपका कोटिश: आभार। आपकी शुभकामनाओं से ये प्रयास जारी है।
ReplyDeleteapka bahut bahut dhanyvad
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