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राजस्थान अन्य पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड

राज्य के अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों के आर्थिक विकास हेतु राजस्थान सरकार ने 19 अप्रैल 2000 को एक राज्यादेश द्वारा इस निगम की स्थापना की। राज्य सरकार द्वारा इसके लिए इस निगम के पक्ष में 10 करोड़ रुपए की राज्य गारन्टी प्रदान की। राजस्थान सहकारी संस्था अधिनियम, 1965 के अन्तर्गत 29 मई, 2000 को इस निगम पंजीकरण करवाया गया। राज्य सरकार ने 22 जून 2000 को इसके संचालन के लिए निदेशक, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग को इसका प्रबन्ध निदेशक घोषित किया।

योजनाओं का विवरण

> राष्ट्रीय निगम आय-जनित सभी आर्थिक गतिविधियों के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करता है, जिसके तहत क्रमशः सामान्य ऋण योजना, न्यू स्वर्णिमा योजना, मार्जिन मनी योजना, माईक्रो वित्त ऋण, शिक्षा ऋण योजना आदि को कृषि, लघु व्यवसाय, परिवहन सेवाएँ आदि वर्गों में विभाजित किया गया है।

> 50,000 रुपए से अधिक की परियोजनाएं राजस्थान अन्य पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास सहकारी निगम स्तर से संचालित की जाती है तथा सम्बन्धित राष्ट्रीय वित्त एवं विकास निगम, नई दिल्ली से अनुमोदित होती हैं।

> राष्ट्रीय निगम, नई दिल्ली को स्वीकृति हेतु प्रेषित की जाने वाली परियोजनाओं के प्रस्तावों में कृषि, व्यापार, यातायात एवं लघु उद्योग सेवाओं की गतिविधियों को समुचित प्रतिनिधित्व दिया जाता है।

किए जा सकने वाले व्यवसाय

1. एस.टी.डी./पी.सी.ओ.
2. चॉक निर्माण
3. मसाला उद्योग
4 कारपेन्टरी शॉप
5 इलेक्ट्रिक मोटर
6 डेयरी भैंस
7 चाय-पान की दुकान
8 ऑटो टायर रिपेयर शॉप
9 लुहारी कार्य
10 ऑटो पार्ट
11 बुक बाईन्डिंग
12 टाईपिंग सेन्टर
13 सुनारी कार्य
14 टेलरिंग शॉप
15 टेलरिंग मैटेरियल
16 स्टील फैब्रीकेशन
17 हेयर कटिंग सैलून/ब्यूटी पार्लर
18 गाय डेयरी
19 गोल्ड प्लेटिंग ऑन मेटल प्लान्ट
20 बैण्डबाजे की दुकान
21 फोटोग्राफी
22 एलोपैथी क्लिनिक
23 ऑटो रिक्शा
सुनारी कार्य
24 कृत्रिम आभूषण शॉप
चांदी-सोने की प्लेटिंग का कार्य
25 फल-फूल, सब्जी की दुकान
26 बिल्डिंग मैटेरियल की दुकान
27 खाद, बीज, दवा, कृषि उपकरण शॉप
28 ढाबा/ रेस्टोरेन्ट
29 टैन्ट हाउस
30 बर्तन की दुकान
31 ड्राईक्लीन/ वॉशिंग शॉप
32 साईकिल बिक्री, मरम्मत, किराये देना
33 बेकरी
34 बिजली के सामान की दुकान
35 स्टेशनरी, पेन किताब की दुकान
36 छापा खाना
37 कपड़ों की रंगाई एवं प्रिन्टिंग
38 जूते, चप्पल बनाना एवं बिक्री
39 ट्रेक्टर मय ट्रॉली
40 जीप टैक्सी
41 कार टैक्सी
42 मिनी बस
43 मिनी ट्रक
44 इन्जीनियरिंग वर्कशॉप
45 कम्प्यूटर इन्स्टीट्यूट
46 कृषि उपकरण
47 कुआं गहरा करवाना
48 डीजल पम्प
49 आटा चक्की
50 मनीहारी सामान की दुकान
51 जूते चप्पल की दुकान
52 मिठाई की दुकान
53 हैण्डीक्राफ्ट
54 कपड़ा व्यवसाय
55 रेडीमेड गारमेन्ट्स
56 जनरल स्टोर
57 मेडिकल स्टोर
58 पत्तल दोने
59 कशीदाकारी
60 फोटोकॉपीयर यूनिट
61 पेन्टिंग की दुकान
62 फूल झाड़ू
63 प्लेइंग टैम्पू
64 नमकीन व्यवसाय
65 मिक्सर मशीन
66 म्यूजिक/ साउण्ड सिस्टम
67 ऑटो सर्विस सेन्टर
68 बैटरी निर्माण
69 मसाला उद्योग
70 लेथ मशीन
71 कुट्टी /खाखला
72 साबुन व्यवसाय
73 किराना दुकान
74 कम्प्यूटर जॉब वर्क
75 तेल मिल

परियोजना की लागत एवं स्वीकृत की जाने वाली राशि तथा अन्य शर्ते निगम के जिला कार्यालय से प्राप्त की जा सकती है।

उक्त योजनाओं के अतिरिक्त अनुसूचित जाति जनजाति वित्त एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड के जिला परियोजना प्रबन्धक अन्य योजनाओं को सम्मिलित करने हेतु प्रस्ताव भेज सकेंगे। प्रार्थी अपनी इच्छा अनुसार औचित्यपूर्ण आयजनित व्यवसाय का चयन करने को स्वतन्त्र है।

ऋण प्राप्त करने की पात्रता-

1. राजस्थान का मूल निवासी हो।
2. सरकार द्वारा जारी आदेशों में घोषित अन्य पिछड़ा वर्ग का हो।
3. प्रार्थी की समस्त स्रोतों से अधिकतम वार्षिक आय गरीबी की रेखा से नीचे की आय से दुगुनी आय हो।
4. प्रार्थी पर किसी बैंक, सहकारी संस्था, निगम या राज्य सरकार का अवधिपार ऋण बकाया नहीं हो।
5. जिस कार्य के लिए ऋण लिया जा रहा है, उसके लिए प्रशिक्षण या अनुभव प्राप्त हो।

योजना के अन्य विशेष तथ्य-

> ऋण के लिए पात्र अभ्यर्थी को जिला परियोजना प्रबन्धक, राजस्थान अनुसूचित जाति जनजाति वित्त एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड (अनुजा) के कार्यालय द्वारा सशुल्क जारी निर्धारित आवेदन पत्र दो प्रतियों में भरना होता है।

> ऋण आवेदन पत्र के साथ जाति, आय व मूल निवास प्रमाण पत्र, शपथ पत्र एवं जमानतनामा आवश्यक है। बी.पी.एल. सर्वे की चयनित सूची में नाम अंकित होने की स्थिति में आय एवं मूल निवास प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है।

> इनकी जाँच उपरांत जिला कलक्टर स्तर पर गठित स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा उचित लगने पर ऋण स्वीकृत किए जाते हैं।

> प्रार्थी द्वारा पूर्व में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम अथवा अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम की योजनाओं के अन्तर्गत ऋण नहीं लिया होना चाहिए।

> जिस योजना के लिए ऋण लेना चाहता है, उसका पर्याप्त अनुभव हो, उदाहरण के लिए यदि नाई जाति का लड़का हेयर कटिंग सैलून के लिए ऋण लेना चाहता है तो उसकी जाति के आधार पर ही अनुभव को पर्याप्त माना जाता है लेकिन यदि वह अन्य कार्य हेतु ऋण चाहता है तो उसे उस कार्य का पर्याप्त अनुभव प्रमाणित करना होता है।

> प्रार्थी को निम्न अनुसार जमानत की व्यवस्था करनी होगी-
(अ) 50000 तक के ऋण के लिए एक सरकारी या बैंक अधिकारी या कर्मचारी।
(ब) 50000 से अधिक ऋण के लिए 2 सरकारी या बैंक अधिकारी या कर्मचारी।

> ऋण स्वीकृति पश्चात् प्रार्थी को नियमानुसार सामान क्रय करने के कोटेशन अनुजा निगम के जिला कार्यालय को जमा कराने होते हैँ एवं जिला कार्यालय द्वारा सप्लायर फर्मोँ को सीधे ही राशि का चैक जारी किए जाते हैँ।

> लाभार्थियों में 30 प्रतिशत महिलाओं को लाभान्वित किया जा सकता है। रक्षा सेनानियों की विधवाओं को प्राथमिकता से लाभान्वित करने के प्रयास किए जाते हैँ।

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