Skip to main content

राजस्थान की योजनाएँ Rajasthan Grameen Aajeevika Pariyojna - राजस्थान ग्रामीण आजीविका परियोजना (आर.आर.एल.पी.)

राजस्थान ग्रामीण आजीविका परियोजना (आर.आर.एल.पी.)

परिचयः


माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा वित्तीय वर्ष 2009-10 के बजट भाषण मे विश्व बैंक की सहायता से राजस्थान ग्रामीण अजीविका परियोजना लागू करने की घोषणा की गई, जिसके क्रम में ”राजस्थान ग्रामीण आजीविका परियोजना“ के प्रस्ताव तैयार कर विश्व बैंक को प्रस्तुत किये गये। परियोजना की स्वीकृति विश्व बैंक बोर्ड की बेैठक दिनाक 11.01.2011 मे कर दी गई है। राजस्थान ग्रामीण आजीविका परियोजना हेतु विश्व बैंक एवं भारत सरकार के साथ दिनांक 24.5.2011 को लीगल डाॅक्यूमेन्ट्स हस्ताक्षरित किये गये तथा राजस्थान ग्रामीण आजीविका परियोजना हेतु विश्व बैंक एव भारत सरकार के साथ बैंक से वित्तीय सहायता दिनाक 22.06.2011 से प्रभावी हुई। प्रस्तावित परियोजना से राज्य के 4 लाख बी.पी.एल परिवारों को स्थाई जीविकोपार्जन के संसाधन एव आवश्यक आधारभूत सुविधाएँ उपलब्ध करवाकर इनका आर्थिक स्तर गरीबी रेखा से ऊपर उठाये जाने का लक्ष्य रखा गया है।


ग्रामीण आजीविका विकास परिषद् का गठन -

राजस्थान राज्य के ग्राामीण क्षेत्र में लाइवलीहुडु से सम्बन्धित समस्त कार्यक्रमों के प्रभावी संचालन हेतु राज्य मंत्रीमण्डल की बैठक दिनांक 29.9.2010 में राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद् (सोसायटी) के गठन का अनुमोदन किया गया।

राजस्थान के मुख्यमंत्री इसके अध्यक्ष, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग मंत्री इसके उपाध्यक्ष होते है। ग्रामीण विकास विभाग से सम्बद्ध इस परिषद का मुख्य उदेश्य राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी उन्मूलन व निर्धन परिवारों के आजीविका संवर्द्धन से सम्बंधित परियोजनाओं व कार्यक्रमों को सहज व प्रभावपूर्ण ढंग से क्रियान्वित करना है।

राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद् द्वारा संचालित परियोजनाओं के अन्तर्गत, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के परिवारों की महिलाओं को सक्षम व आत्म निर्भर बनाने के लिये एक स्थायी एवं प्रभावशाली त्रि-स्तरीय सामुदायिक संगठन संरचना का निर्माण करने का प्रावधान करके इस संस्थागत संरचना के माध्यम से महिलाओं की आर्थिक संसाधनों तक पहुँच सुलभ बना कर आजीविका अर्जन के अवसरों को बेहतर बनाने तथा उनकी सामाजिक व तकनीकी क्षमताओं का विकास कर उनके आय-वृद्धि के प्रयास करने का उद्देश्य रखा गया है। 


परियोजना का क्षेत्र-

इस परियोजना को राज्य के निर्धनतम 18 जिलों (बांसवाड़ा, बारां, भीलवाड़ा, बीकानेर, बूंदी, चित्तौड़गढ़, चूरू, दौसा, धौलपुर, डुंगरपुर, झालावाड़, करौली, कोटा, प्रतापगढ़, राजसमंद, सवाईमाधोपुर, टोंक एवं उदयपुर) में लागू किया जा रहा है।


परियोजना के उद्देश्य -


  • चयनित बी.पी.एल. परिवारों को गरीबी रेखा से ऊपर लाना (आय से स्थाई वृद्धि )।

  • चयनित परिवारों को समाज की मुख्य धारा से जोडते हुए क्षमतावर्धन के माध्यम से सशक्तिकरण।

  • गठित स्वयं सहायता समूहों का बैंक साख हेतु क्षमता वर्धन।

परियोजना लागत

इस परियोजना की कुल लागत रू. 958 करोड़ (US $ .143 Million) (बैक ऋण के अतिरिक्त) आकलित की गई है।

  1. विश्व बैंक (आई.डी.ए) का हिस्सा रू. 847.90 करोड़ 

  1. राज्यांश रू. 110.10 करोड़

             कुल परियोजना लागत रू. 958.00 करोड़


आर.आर.एल.पी. द्वारा संचालित मुख्य गतिविधियां -

1. सामुदायिक संगठनों का निर्माण (Institution Building)

इस परियोजना क्रियान्वयन के प्रथम चरण में राज्य के ग्रामीण परिवारों की निर्धन महिलाओं को संगठित कर विभिन्न सामुदायिक संगठनों का निर्माण किया जा रहा है। यह संगठन गरीब निर्धन परिवारों को आजीविका विकास एवं आय वृद्धि हेतु वित्तीय तकनीकी एवं अन्य आवश्यक सहयोग उपलब्ध करा कर गरीबी के दुष्चक्र से बाहर निकलने में सहयोग करेंगे। राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद् द्वारा इन निर्धन ग्रामीण परिवारों को आर्थिक व सामाजिक प्रवर्तनों एवं क्रियाकलापों से जोडने के लिये त्रि-स्तरीय सामुदायिक संगठन संरचना का निर्माण करने का प्रावधान है। इस संरचना के तीन स्तर निम्नानुसार हैः-


(i) स्वयं सहायता समूह (Self Help Groups)

(ii) ग्राम संगठन (Village Organisation)

(iii) क्लस्टर लेवल फेडरेशन (Cluster Level Federation)


2. वित्तीय समावेशन-

वित्तीय समावेशन के अन्तर्गत मुख्यतः दो घटकों को सम्मिलित किया गया है।

1. परियोजना द्वारा प्रदत्त सामुदायिक निवेश राशि (Community Investment Fund)

2. बैंक लिंकेज - बैंक द्वारा ऋण


राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद् द्वारा स्वयं सहायता समूह के माध्यम से अन्य आवश्यकताओं हेतु वित्तीय सहयोग के रूप में रिवाॅल्विंग राशि (Revolving Fund) व आजीविका संवर्धन राशि (Livelihood Investment Fund) प्रदान की जाती हैं। यह राशि स्वयं सहायता समूहों द्वारा सदस्यों को आवश्यकतानुसार ऋण के रूप में दी जाती है। परियोजना द्वारा स्वयं सहायता समूह को रिवाॅल्विंग फंड ऋण के तौर पर दिया जाता है। जिसका भुगतान समूह को ब्याज सहित ग्राम संगठन को करना होता है। इस राशि का उद्देश्य समूह को प्रारंभिक सहयोग प्रदान करना है।

समूह के सुदृढ़ होने व संचालन गतिविधियों के सुचारू निवर्हन प्रारम्भ होने के पश्चात् आजीविका संवर्धन राशि (Livelihood Fund) प्रदान की जाती है। यह राशि समूह को उनके द्वारा बनायी गई सूक्ष्म ऋण आजीविका योजना (Micro Credit Livelihood Plan) के आधार पर दी जाती हैं। इसके साथ ही ग्रामीण आजीविका विकास परिषद् द्वारा इन समूहों को बैंक से ऋण प्राप्त करने में भी सहयोग किया जाता है। 


3. आजीविका विकास-

राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद् की समस्त परियोजनाओं के तहत लक्षित ग्रामीण परिवारों के आजीविका विकास हेतु विभिन्न गतिविधियों यथा पशुपालन, कौशल विकास आदि को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। चूंकि परियोजना का मुख्य उद्देश्य आजीविका विकास के माध्यम से गरीबी उन्मूलन है, इसलिए समूहों द्वारा आजीविका योजना बनाना अत्यंत महत्वपूर्ण गतिविधि हैं। यह आजीविका योजना बनाने के लिये समूह को आवश्यक सहयोग दिया जाता हैं।


4. कन्वर्जेन्स-

राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद द्वारा परियोजनान्तर्गत लक्षित ग्रामीण परिवारों को राज्य एवं केन्द्र सरकार द्वारा संचालित कल्याणकारी योजनाओं व कार्यक्रमों के लाभ दिलाने के प्रयास किये जाते हैं। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु अन्य सरकारी/अर्द्धसरकारी विभागों कार्यक्रमों यथा महात्मा गाँधी नरेगा, कृषि विभाग, बागवानी विभाग आदि के साथ कन्वर्जेन्स को प्रोत्साहन दिया जाता है।


इस परिषद द्वारा संचालित परियोजनाओं के अन्तर्गत, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के परिवारों की महिलाओं को सक्षम व आत्म निर्भर बनाने के लिये एक स्थायी एवं प्रभावषाली त्रि-स्तरीय सामुदायिक संगठन संरचना का निर्माण किया जा रहा है। इस संस्थागत संरचना के माध्यम से महिलाओं की आर्थिक संसाधनों तक पहुँच सुलभ बना कर आजीविका अर्जन के अवसरों को बेहतर बनाने तथा उनकी सामाजिक व तकनीकी क्षमताओं का विकास कर उनके आय-वृद्धि के प्रयास किये जा रहे हैं।


राज्य सरकार  वार्षिक प्रतिवेदन 2017-2018 के अनुसार अब तक कुल 745.75 करोड़ रूपये खर्च कर कुल 6.33 लाख गरीब परिवारों को 53325 स्वयं सहायता समूहों एवं 4460 ग्राम संगठन (वी.ओ.) के रूप में संगठित किया जा चुका है। वित्तीय सहयोग के रूप में 44120 स्वयं सहायता समूहों को रिवाॅल्विंग फण्ड एवं 34194 समूहों को आजीविका संवर्धन राषि का वितरण कर दिया गया है। वित्तीय समावेषन के अन्तर्गत कुल 47135 समूहों मे बचत खाते बैंक में खुलवाये गये है एवं कुल 18906 समूहों को बैंक ऋण दिलवाये गये हैं।


परियोजना की विशिष्टतायें -

1. स्वयं सहायता समूहों के साथ- साथ उनकी उच्च स्तरीय संस्थाओं का गठन।

2. एक से अधिक स्वरूप में वित्तीय सहायता।

3. अनुदान के स्थान पर बचत एवं साख की पद्धति ज्यादा सफल।

4. आजीविका संसाधनों का विकेन्द्रीयकरण।

5. सामुदायिक एवं आजीविका सुरक्षा।

6. राज्य स्तर से गांव स्तर तक समर्पित संस्थापन।

7. समुदाय की लागत आधार पर ब्याज दरों का निर्धारण।

8. समुदाय से समुदाय का क्षमतावर्धन।

9. दक्षतावर्द्धन एवं सुनिश्चित रोजगार।

10. प्रभावी संचालन:-

(अ) जी.आई.एस. आधारित सीएमआईएस सिस्टम।
(ब) आईसीटी आधारित मोबाईल ट्रेकिंग।
(स) टेली के द्वारा लेखा एवं वित्तीय प्रोसेस मोनेटरिंग।

Comments

Post a Comment

Your comments are precious. Please give your suggestion for betterment of this blog. Thank you so much for visiting here and express feelings
आपकी टिप्पणियाँ बहुमूल्य हैं, कृपया अपने सुझाव अवश्य दें.. यहां पधारने तथा भाव प्रकट करने का बहुत बहुत आभार

Popular posts from this blog

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋत...

राजपूताना मध्य भारत सभा -

राजपूताना मध्य भारत सभा - इस सभा का कार्यालय अजमेर में था। इसकी स्थापना 1918 ई. को दिल्ली कांग्रेस अधिवेशन के समय चाँदनी चौक के मारवाड़ी पुस्तकालय में की गई थी। यही इसका पहला अधिवेशन कहलाता है। इसका प्रथम अधिवेशन महामहोपाध्याय पंडित गिरधर शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित किया गया था। इस संस्था का मुख्यालय कानपुर रखा गया, जो उत्तरी भारत में मारवाड़ी पूंजीपतियों और मजदूरों का सबसे बड़ा केन्द्र था।  देशी राज्यों की प्रजा का यह प्रथम राजनैतिक संगठन था। इसकी स्थापना में प्रमुख योगदान गणेश शंकर विद्यार्थी, विजयसिंह पथिक, जमनालाल बजाज, चांदकरण शारदा, गिरधर शर्मा, स्वामी नरसिंह देव सरस्वती आदि के प्रयत्नों का था।  राजपूताना मध्य भारत सभा का अध्यक्ष सेठ जमनालाल बजाज को तथा उपाध्यक्ष गणेश शंकर विद्यार्थी को बनाया गया। इस संस्था के माध्यम से जनता को जागीरदारी शोषण से मुक्ति दिलाने, रियासतों में उत्तरदायी शासन की स्थापना करने तथा जनता में राजनैतिक जागृति लाने का प्रयास किया गया।  इस कार्य में संस्था के साप्ताहिक समाचार पत्र ''राजस्थान केसरी'' व सक्रिय कार्यकर्ताओं ...

THE SCHEDULED AREAS Villages of Udaipur district - अनुसूचित क्षेत्र में उदयपुर जिले के गाँव

अनुसूचित क्षेत्र में उदयपुर जिले के गाँव- अनुसूचित क्षेत्र में सम्मिलित उदयपुर जिले की 8 पूर्ण तहसीलें एवं तहसील गिर्वा के 252, तहसील वल्लभनगर के 22 व तहसील मावली के 4 गांव सम्मिलित किए गए हैं। ये निम्नानुसार है- 1. उदयपुर जिले की 8 पूर्ण तहसीलें (कोटड़ा, झाडोल, सराड़ा, लसाड़िया, सलूम्बर, खेरवाड़ा, ऋषभदेव, गोगुन्दा) - 2. गिर्वा तहसील (आंशिक) के 252 गाँव - S. No. GP Name Village Name Village Code Total Population Total Population ST % of S.T. Pop to Total Pop 1 AMBERI AMBERI 106411 3394 1839 54.18 2 AMBERI BHEELON KA BEDLA 106413 589 573 97.28 3 AMBERI OTON KA GURHA 106426 269 36 13.38 4 AMBERI PRATAPPURA 106427 922 565 61.28 5 CHEERWA CHEERWA 106408 1271 0 0.00 6 CHEERWA KARELON KA GURHA 106410 568 402 70.77 7 CHEERWA MOHANPURA 106407 335 313 93.43 8 CHEERWA SARE 106406 2352 1513 64.33 9 CHEERWA SHIVPURI 106409 640 596 93.13 10 DHAR BADANGA 106519 1243 1243 100.00 11 DHAR BANADIYA 106...