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काली बाई भील मेधावी छात्रा स्कूटी योजना kalibai bheel medhavi Chatra scooty Yojana

काली बाई भील मेधावी छात्रा स्कूटी योजना  Kalibai Bheel Medhavi Chatra Scooty Yojana Kalibai Bheel Medhavi Chatra Scooty Yojana योजना प्रारम्भ : 2015-16 अवधि मान्य : 12 माह वित्त पोषण : राज्य सरकार kalibai bhil medhavi Chatra scooty Yojana का उद्देश्य - राजस्थान राज्य की मेधावी छात्राओं को राजकीय विद्यालयों में कक्षा 9वीं से कक्षा 12वीं तक नियमित छात्रा के रूप में प्रवेश लेकर अध्ययन करने हेतु प्रेरित करना, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान द्वारा आयोजित परीक्षा तथा विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित स्नातक डिग्री परीक्षा में अधिक से अधिक अंक लाने, उनमें प्रतिस्पर्धा की भावना विकसित करने, उच्च अध्ययन हेतु आकर्षित करने एवं उच्च शिक्षा हेतु वाहन सुविधा उपलब्ध कराना है । kalibai bheel medhavi Chatra scooty Yojana हेतु पात्रता- छात्रा को राजस्थान का मूल निवासी होना चाहिए। राज्य की SC/ST/OBC/अन्य अल्पसंख्यक समूह एवं सामान्य वर्ग की आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रा ही इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकते है। राज्य की वह बालिका जो अन्य पहले किसी और स्कूटी योजना का लाभ प्राप्त कर रही है तो वह बालिका इस य

क्या है केंद्र सरकार की नई योजना स्वामित्व योजना | राजस्थान में भी लागू होगी 'स्वामित्व' योजना | Know about new SWAMITVA Yojna

क्या है केंद्र सरकार की नई योजना स्वामित्व, राजस्थान में भी लागू होगी 'स्वामित्व' योजना केंद्र सरकार ने बजट में एक नई योजना 'स्वामित्व' SWAMITV Yojna के लिए 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।  इस SWAMITV Yojna योजना के तहत गाँव में रहने वाले लोगों को ग्रामीण रिहायशी इलाकों में घर और प्रॉपर्टी कार्ड जारी करने के लिए भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा ड्रोन तकनीक की मदद से सर्वेक्षण किया जाएगा।  वास्तव में, स्वामित्व योजना SWAMITVA Yojna गांव की संपत्तियों के सही आकलन करने का प्रयास है, जिसके तहत देश के सभी गांवों की संपत्ति की ड्रोन से मैपिंग की जाएगी और गांव के लोगों को एक मालिकाना प्रमाणपत्र दिया जाएगा। स्वामित्व योजना के पहले चरण को 79.65 करोड़ रुपए के बजट के साथ स्वीकृति दी गई है।  इस पायलट चरण के दौरान , यह योजना 9 राज्यों- उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, राजस्थान और आंध्र प्रदेश में कार्यान्वित की जा रही है।  31 जनवरी, 2021 तक लगभग 23,300 गांवों में ड्रोन सर्वेक्षण पूरा हो चुका है।  लगभग 1,432 गांवों के 2

लवण श्रमिक कल्याण योजना राजस्थान | Salt Labor Welfare Scheme Rajasthan in Hindi

राजस्थान लवण श्रमिक कल्याण सहयोग योजना-2009  RAJASTHAN SALT LABOUR WELFARE ASSISTANCE SCHEME 2009  योजना की पृष्ठभूमि - राजस्थान भूमिगत जल से लवण निर्माण में सर्वोच्च स्थान रखता है। देश में उत्पादित नमक का लगभग 12 प्रतिशत हिस्सा राज्य में उत्पादित किया जाता है। यह उद्योग राज्य के रेगिस्तानी इलाकों में स्थित है, जो अकाल के समय में भी लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है। यह उद्योग राज्य के रेगिस्तानी इलाकों में स्थित है, जो अकाल के समय में भी लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है। राज्य के खुले लवण क्षेत्रों में निजी इकाईयों को राज्य सरकार के उद्योग विभाग के माध्यम से लवण भूमि का आवंटन किया जाता है, जबकि आरक्षित लवण क्षेत्रों में राजकीय/केन्द्रीय उपक्रम विभागों द्वारा नमक उत्पादन का कार्य करवाया जाता है। इसके अतिरिक्त लवण क्षेत्रों की परिधि में खातेदारों (कृषकों) जिनकी भूमि लवणीय हो गयी है, खातेदार (कृषक) द्वारा खातेदारी भूमि को कृषि से अकृषि भूमि में राजस्व विभाग के माध्यम से रूपान्तरित करवाकर लवण निर्माण का कार्य किया जाता है। राजस्थान राज्य में खुले लवण क्षेत्र जोधपुर, नागौर, जैसलमे

राजस्थान में कौशल प्रशिक्षण की तीन योजनाओं 'राजक्विक’, 'सक्षम’ एवं 'समर्थ’ योजनाओं का शुभारम्भ

राजस्थान में कौशल प्रशिक्षण की तीन योजनाओं 'राजक्विक’, 'सक्षम’ एवं 'समर्थ’ योजनाओं का शुभारम्भ- Three Schemes of Skill Development 'RajQuick, Saksham and Samarth' are started in Rajasthan राजस्थान के युवाओं के साथ सभी वर्गों को कौशल विकास से जोड़ने के लिए राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम (RSLDC) की तीन योजनाओं का शुभारंभ बुधवार 3 फरवरी को कौशल, रोजगार एवं उद्यमिता राज्य मंत्री श्री अशोक चांदना ने किया। RSLDC में आयोजित कार्यक्रम में मंत्री श्री अशोक चांदना ने कहा कि तीनों ही योजनाओं में प्रतिवर्ष 1 लाख से अधिक सभी वर्गों को रोजगार और स्वरोजगार देने का प्रयास किया जाएगा। इसके अलावा अन्य योजनाओं के जरिए 65 हजार से अधिक को युवाओं को प्रशिक्षित कर स्वरोजगार से जोड़ेंगे। हम निगम को अगले दो-तीन साल में ऑल टाइम टॉप पर पहुंचा देंगे।  इस मौके पर आरएसएलडीसी के अध्यक्ष डॉ. नीरज के. पवन, प्रबंध निदेशक श्री प्रदीप के गावंडे, महाप्रबंधक प्रथम श्री करतार सिंह, महाप्रबंधक द्वितीय डॉ. सतीश महला आदि  उपस्थित रहे।    ये है योजनाएं 1- समर्थ योजना - (समर्थ कौशल से आत्मन

मुख्यमंत्री अन्न सुरक्षा योजना राजस्थान 2020 | Mukhyamantri Anna Suraksha Yojna

मुख्यमंत्री अन्न सुरक्षा योजना - इस योजना के तहत बी.पी.एल. स्टेट बी.पी.एल. एवं. अन्त्योदय परिवारों को सस्ते दामों पर अनाज उपलब्ध कराया जाता है। अन्त्योदय अन्न योजना इस योजना के अन्तर्गत ही आती है। मुख्यमंत्री अन्न सुरक्षा योजना’’बी.पी.एल व राज्य बी.पी.एल.परिवारों के लिए 2/- रू.किलो गेहूँ योजना राज्य सरकार ने गरीबों, अजा.अजजा व पिछडे वर्ग को राहत देने वाली योजनाएँ प्रारम्भ की थी। जिसके अन्तर्गत सर्वप्रथम सस्ता आटा व सस्ती दाल उपलब्ध करवायी गई, जिससे की गरीबों की आर्थिक स्थिति उनके सामाजिक जीवन स्तर को बढ़ाने में बाधक ने हो एवं सभी को खाद्यान्न सरलता से सस्ता उपलब्ध हो सके। राज्य सरकार ने बी.पी.एल.एवं राज्य बी.पी.एल.परिवारों की आर्थिक स्थिति को मध्य नजर रखते हुये 25 किलो गेहूँ 2/- रूपए किलो की दर से प्रति परिवार प्रति माह देने का निर्णय लिया। योजना की विशेषताएं - 1. 10 मई 2010 से पूरे राज्य के सभी जिलों में बी.पी.एल./राज्य बी.पी.एल.परिवारों को 2/- रू.प्रति किलो की दरपर गेंहूँ वितरण योजना का शुभारम्भ।  2. बी.पी.एल एवं राज्य बी.पी.एल.श्रेणी के प्रति परिवार को 25 किलोग्राम प्रत

गोबर धन योजना क्या है | राजस्थान में क्रियान्वित होगी गोबरधन परियोजनायें GOBAR Dhan Yojana in hindi

What is GOBAR Dhan Yojana गोबर धन योजना क्या है गांवों को खुले में शौच मुक्त बनाने और ग्रामीणों के जीवन को बेहतर बनाने के प्रयास में, वित्त मंत्री ने फरवरी 2018 में अपने बजट भाषण में ''गैल्वनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज धन (GOBAR-DHAN) योजना'' शुरू करने की घोषणा की थी। वर्तमान में पशुओं के गोबर और कृषि अपशिष्ट के एक हिस्से का उपयोग खाना पकाने के ईंधन के रूप में किया जाता है। हालांकि, डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि भारत में खाना पकाने के अशुद्ध ईंधन से होने वाले इनडोर वायु प्रदूषण के कारण अकेले भारत में 5 लाख लोगों की मौत हुई है। इनडोर कुकिंग चूल्हा के पास महिलाएं और बच्चे सबसे ज्यादा पीड़ित होते हैं, क्योंकि वे अपने समय की बड़ी मात्रा में इस कार्य में खर्च करते हैं। बायो-गैस, जैव-ईंधन का सबसे सामान्य रूप है तथा ऊर्जा का एक स्वच्छ रूप है और इसे गोबर, मुर्गी पालन, फसल अवशेष, रसोई अपशिष्ट, आदि से प्राप्त किया जा सकता है। गोबर-धन से सामान्य ग्रामीण लोगों को और महिलाओं में लाभ होगा। विशेष रूप से इस स्वच्छ ईंधन से और स्वास्थ्य पर सुधार और गांवों में स्वच्छता में सुधार

राजस्थान राज्य भण्डार व्यवस्था निगम | RAJASTHAN STATE WAREHOUSING CORPORATION

राजस्थान राज्य भण्डार व्यवस्था निगम RAJASTHAN STATE WAREHOUSING CORPORATION राजस्थान राज्य भण्डार व्यवस्था निगम के उद्देश्य- दी वेयरहाउसिंग कारपोरेशन्स एक्ट, 1962’ (1962 का केन्द्रीय अधिनियम क्रमांक 58) की धारा 24 में किये गये प्रावधानों के अनुसार निगम का मुख्य उद्देश्य राज्य के विभिन्न स्थानों पर वैज्ञानिक पद्धति से भण्डारगृहों का प्रबन्ध करना एवं गोदामों का निर्माण करना है, जिससे कृषकों, सहकारी समितियों, व्यापारियों, सहकारी संस्थाओं एवं सरकारी प्रतिष्ठानों अर्थात् व्यक्तियों एवं संस्थाओं को उनके कृषि उत्पादन, बीज, उर्वरक, रासायनिक खाद, कृषि यन्त्र एवं अधिसूचित जिन्सों के वैज्ञानिक भण्डारण की सुविधा उपलब्ध हो सके। राजस्थान राज्य भण्डार व्यवस्था निगम का मिशन/विजन- राज्य में कृषि एवं अन्य अधिसूचित जिन्सों के वैज्ञानिक भण्डारण की व्यवस्था करना। राजस्थान राज्य भण्डार व्यवस्था निगम संक्षिप्त इतिहास और गठन का प्रसंग- राजस्थान राज्य भण्डार व्यवस्था निगम की स्थापना 30 दिसम्बर, 1957 को हुई एवं निगम ने वास्तविक रूप में मार्च 1958 से कार्य प्रारम्भ किया। भण्डार व्यवस्था निगम ’ वेयरहाउसिंग कारप

राजस्थान की इन्दिरा रसोई योजना हिंदी में | Indira Rasoi Yojana Rajasthan in Hindi

राजस्थान की इन्दिरा रसोई योजना हिंदी में | Indira Rasoi Yojana Rajasthan in Hindi  राजस्थान सरकार  के “कोई भूखा ना सोए” के संकल्प के साथ स्व. श्रीमती इन्दिरा गाँधी के नाम पर राजीव गाँधी की जयन्ती 20 अगस्त 2020 पर शुरू की गई। इन्दिरा रसोई योजना के माध्यम से राज्य में साढे़ तीन माह की अल्प अवधि में ही एक करोड़ से अधिक लाभार्थियों को खाना खिलाने का आंकड़ा छू लिया है। प्रदेश भर के सभी 213 नगरीय निकायों में इंदिरा रसोई योजनान्तर्गत 358 स्थाई रसोईयां स्थापित की गई है, जहां लाभार्थी 8 रुपये में बैठकर भोजन कर सकता है।  भोजन में मुख्यतः दाल, सब्जी, आचार व चपाती है।  नगर पलिका एवं नगर परिषद क्षेत्रों में प्रतिदिन भोजन सीमा 300 थाली एवं नगर निगम क्षेत्र में प्रतिदिन 600 थाली प्रति रसोई प्रतिदिन है एवं आवश्यकता होने इसे 100 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है।  इन्दिरा रसोई योजना राज्य में प्रतिदिन की भोजन क्षमता 1,33,500 है। वहीं वार्षिक 4.87 करोड़ लंच/डीनर वितरित करने का लक्ष्य रखा है। जिस पर प्रतिवर्ष 100 करोड़ रुपये व्यय होगा। जिला स्तरीय समन्वय एवं मॉनिटरिंग समिति-   इन्दिरा रसोई योजना Indi