राजस्थान आवास विकास लिमिटेड की हाल ही में जयपुर में आयोजित विशेष बैठक में सर्व सम्मति से नया नाम "राजस्थान आवास विकास एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (आर ए वी आई एल)" रखने का निर्णय लिया गया। नगरीय विकास, आवासन एवं स्वायत्त शासन विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री गुरदयाल सिंह संन्धु की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में नगरीय विकास विभाग द्वारा प्रस्तुत ज्ञापन के अनुमोदन के बाद अब इस कंपनी में राज्य सरकार की अंश पूंजी 51 प्रतिशत है। इसके अतिरिक्त राजस्थान आवासन मंडल और जयपुर विकास प्राधिकरण की अंश पूंजी क्रमशः 25 व 24 प्रतिशत रखी गई है। बैठक में नई कंपनी के नियम एवं उपनियमों पर विस्तृत विचार विमर्श कर अंतिम रूप दिया गया। यह सरकारी कंपनी अब अफोर्डेबल हॉउसिंग पॉलिसी 2009 के क्रियान्वयन के लिए भवन निर्माण की योजना, डिजाईन, विकास, निर्माण तथा वित्तीय संसाधन जुटाने आदि के कार्य करेगी। इससे अफोर्डेबल हॉउसिंग पालिसी 2009 के तहत कराए जाने वाले निर्माण कार्यो में गति आएगी। कम्पनी के 10 सदस्यीय निदेशक मंडल के अध्यक्ष नगरीय विकास एवं आवासन विभाग के मंत्री श्री शांति धारीवाल है तथा उपाध्यक्ष का दायित्व नगरीय विकास, विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री जी. एस. संधु को सुपुर्द किया गया है। उल्लेखनीय है कि सन् 1996 में आवास विकास संस्थान के रूप में राजस्थान हाउसिंग बोर्ड की कंपनी के रूप में इसका गठन किया गया था। बाद में इसका नामकरण आवास विकास लिमिटेड हुआ और अब यह राजस्थान आवास विकास एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के रूप में पूर्णतः सरकारी कंपनी है। इस कंपनी की हिस्सा पूंजी भी 2 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 10 करोड रुपए कर दी गई है।
राजपूताना मध्य भारत सभा - इस सभा का कार्यालय अजमेर में था। इसकी स्थापना 1918 ई. को दिल्ली कांग्रेस अधिवेशन के समय चाँदनी चौक के मारवाड़ी पुस्तकालय में की गई थी। यही इसका पहला अधिवेशन कहलाता है। इसका प्रथम अधिवेशन महामहोपाध्याय पंडित गिरधर शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित किया गया था। इस संस्था का मुख्यालय कानपुर रखा गया, जो उत्तरी भारत में मारवाड़ी पूंजीपतियों और मजदूरों का सबसे बड़ा केन्द्र था। देशी राज्यों की प्रजा का यह प्रथम राजनैतिक संगठन था। इसकी स्थापना में प्रमुख योगदान गणेश शंकर विद्यार्थी, विजयसिंह पथिक, जमनालाल बजाज, चांदकरण शारदा, गिरधर शर्मा, स्वामी नरसिंह देव सरस्वती आदि के प्रयत्नों का था। राजपूताना मध्य भारत सभा का अध्यक्ष सेठ जमनालाल बजाज को तथा उपाध्यक्ष गणेश शंकर विद्यार्थी को बनाया गया। इस संस्था के माध्यम से जनता को जागीरदारी शोषण से मुक्ति दिलाने, रियासतों में उत्तरदायी शासन की स्थापना करने तथा जनता में राजनैतिक जागृति लाने का प्रयास किया गया। इस कार्य में संस्था के साप्ताहिक समाचार पत्र ''राजस्थान केसरी'' व सक्रिय कार्यकर्ताओं ...
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