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अरावली देववन संरक्षण अभियान

अरावली पर्वत श्रृंखला में बसे हुए गांवों के आस-पास ग्राम-देवियों और देवताओं के स्थान को देवरा कहा जाता है। इन देवस्थानों के चारों और विशाल वृक्ष बहुतायत से मिलते है। ये प्रजातियाँ  किसी न किसी देववन में पायी जाती है। इस प्रकार के वनकुंजों को देववन कहा जाता है। ग्रामवासी देववन की वनस्पति को कोई हानि नहीं पहुंचाते। अरावली में ऎसे देववनों की परम्परा है। पशु चराई, अतिक्रमण, निर्वनीकरण, खनन, एनीकट, निर्माण, कटान आदि के कारण वन विभाग देव वनों को बचाने का प्रयास कर रही है। जो ग्रामवासियों को देवरा स्थल पर विशाल मन्दिर बनाने का प्रलोभन देकर विशाल वृक्षों को काटने का प्रयास करते हैं, उन लोगों के खिलाफ वन विभाग वन अधिनियमों के तहत सख्त कार्यवाही करती है। मालपुरा पीपलामाता एवं बलिया खेड़ा बड़ला भेरू जी ऎसे ही उदाहरण है, जहां मन्दिरों के साथ वन सुरक्षित हैं। उदयपुर (दक्षिण) वनमण्डल द्वारा वर्ष 1992 से भारत में अपनी तरह का अनूठा अभियान अरावली देव-वन संरक्षण अभियान प्रारम्भ किया गया था ताकि इस प्राकृतिक धरोहर को नष्ट होने से बचाया जा सके। अभियान के अन्तर्गत ग्राम वन सुरक्षा एवं प्रबन्

प्रमुख व्यक्ति एवं उनसे संबंधित महत्त्वपूर्ण कार्य

प्रमुख व्यक्तियों से संबंधित महत्त्वपूर्ण कार्य   1.  पौधो में जीवन की खोज  जगदीश चन्द्र बसु  2.  कांग्रेस का नामकरण  दादा भाई नौरोजी  3.  हिन्दू विधि निर्माता  मनु  4.  बालविवाह निषेध कानून का निर्माण  हरविलास शारदा  5.  मिसाइल कार्यक्रम के जनक  ए.पी.जे. अब्दुल कलाम  6.  देशी रियासतों का एकीकरण  सरदार वल्लभ भाई पटेल  7.  गुरूग्रंथ साहिब संकलन  गुरू अर्जुन देव  8.  सांची स्तूपों का निर्माण  सम्राट अशोक  9.  सांची स्तूपों की खोज  जनरल टेलर  10.  सांख्य दर्शन के प्रणेता   कपिल मुनि  11.  न्याय दर्शन के प्रणेता  गौतम मुनि  12.  योग दर्शन के प्रणेता  पतंजलि मुनि  13.  मीमांसा दर्शन के प्रणेता  जैमिनी मुनि  14.  उत्तर मीमांसा दर्शन के प्रण