Skip to main content

State Finance Commission, Rajasthan- राजस्र्थान का राज्य वित्त आयोग





State Finance Commission-IV चतुर्थ राज्य वित्त आयोग

चतुर्थ राज्य वित्त आयोग का गठन महामहिम राज्यपाल राजस्थान के आदेश दिनांक- 11 अप्रैल, 2011 (अधिसूचना सं. एफ-4(1)एफ.डी./एफ.सी.एण्ड ई.एडी./एस.एफ.सी./2009 दिनांक 13.4.2011) द्वारा अपनी रिपोर्ट 31 दिसम्बर, 2011 तक देने की आज्ञा के साथ किया गया। योजना में उपलब्ध राशि में से-ज़िला परिषद् को 3 प्रतिशत, पंचायत समिति को 12 प्रतिशत तथा ग्राम पंचायतों को 85 प्रतिशत के अनुपात में अनुदान राशि आवंटित होती है।

योजना के उददेश्‍य

  • ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति संबंधी सेवा प्रदायगी व्यवस्थाओं को सृदृढ़ बनाने एवं इसे सुव्यवस्थित करने हेतु आपूर्ति व्यवस्था में आवश्यक सुधार करना।
  • ग्रामीण स्वच्छता एवं मलजल व्यवस्था तथा ठोस अपशिष्ट पदार्थ प्रबंधन की व्यापक अवधारणा के अनुरूप ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक संस्थाओं, सामुदायिक परिसंपत्तियों तथा विद्यालयों आदि में स्वच्छता सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु शौचालयों/मूत्रालयों का निर्माण कराने, ग्रामीण परिवारों के आवास गृहों में निजी शौचालय स्थापित करने को प्रोत्साहित करने, अपशिष्ट का सुरक्षित ढ़ंग से निपटान, ग्रामीण वातावरण में सामान्य साफ-सफाई और स्वच्छता बनायें रखने की व्यवस्था सुनिश्चित करना। स्ट्रीट लाईटों की आम रास्तों में बढ़ोतरी कर, गांवों में प्रकाश व्यवस्था सुधारना।
  • पेयजल आपूर्ति एवं स्वच्छता सुविधाओं से सम्बन्धित परिसम्पत्तियों का रख रखाव तथा समुचित संधारण करना।

याेजना की पात्रता

  • ग्राम सभा द्वारा प्रस्तावित कार्य

State Finance Commission-V - पंचम राज्य वित्त आयोग


पंचम राज्य वित्त आयोग का गठन महामहिम राज्यपाल राजस्थान के आदेश दिनांक. 29 मई, 2015 (अधिसूचना सं एफ-5(1) एफ.डी./एफ.सी. एण्‍ड ई.ए.डी./एस.एफ.सी./2014 दिनांक 30.05.2015) द्वारा अपनी रिपोर्ट 30 नवम्बर, 2015 तक देने की आज्ञा के साथ किया गया। योजना में उपलब्ध राशि मे स-.ज़िला परिषद् को 5 प्रतिशत, पंचायत समिति को 15 प्रतिशत तथा ग्राम पंचायतों को 80 प्रतिशत के अनुपात में अनुदान राशि आवंटित होती है।

योजना के उददेश्य

  • जिला परिषद, पंचायत समिति एवं ग्राम पंचायतों को यह राशि निर्बंध अनुदान (Untied Fund) के रूप में उपलब्ध कराई जावेगी। जिला परिषदें, पंचायत समितियाँ एवं ग्राम पंचायते इस राशि का उपयोग ऐसे विकास कार्यों, जिन्हे किसी अन्य योजनाओं/ प्रोग्राम के अंतर्गत कार्यान्वित नहीं किया जा सकता है, को संपादित करने हेतु कर सकेगी।
  • जिला प्रमुखों/ प्रधानों एवं सरपंचों के मानदेय एवं भत्तों तथा पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को देय भत्तों का भुगतान वित्त विभाग द्वारा अनुमोदित दरों से इस मद अंतर्गत प्राप्त राशि से किया जावेगा।
  • पंचायती राज संस्थाओं को प्रदत्त अनुदान का सबसे अच्छा उपयोग किस जनसेवा के लिए किस रूप में क्या होगा इसका निर्णय संबंधित पंचायती राज संस्था द्वारा किया जावेगा परंतु उसे इस अनुदान से इन जन सेवाओं के लिए नये या अतिरिक्त कर्मचारी नियुक्त करने की इजाजत नहीं होगी। राज्य वित्त आयोग के तहत पंचायती राज संस्थाओं को प्राप्त होने वाली अनुदान राशि के प्रथम चार्ज के रूप में ग्रामीण क्षेत्रों में पेजयल व्यवस्था बाबत जल योजना के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष सम्पूर्ण व्यय (वेतन, मानदेय, मजदूरी, विद्युत व्यय, रखरखाव, पुर्नस्थापना आदि) वहन किया जाना है एवं पंचायत समितियों के अधीन कार्यरत हैण्डपम्प मिस्त्रियों एवं फिटर्स के वेतन भत्तों का भुगतान इस मद अंतर्गत प्राप्त राशि से किया जायेगा।
  • पंचायती राज संस्थाएं राज्य वित्त आयोग पंचम के अंतर्गत उपलब्ध कराई जा रही राशि से आधारभूत नागरिक सेवाओं के सृजनए संवर्धन एवं रखरखाव से संबंधित निम्नांकित कार्य संपादित कर सकेंगी:-
    1. ठोस कचरा प्रबंधन से संबंधित कार्य।
    2. गलियों एवं सड़को पर प्रकाश व्यवस्था।
    3. शवदाह एवं कब्रिस्तान का रख-रखाव।
    4. पेयजल आपूर्ति।
    5. स्वच्छता (जिसमें व्यक्तिगत सार्वजनिक शौचालयों, मूत्रालयों का निर्माण शामिल है) एवं सफाई व्यवस्था। इत्याादि

Comments

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली