Skip to main content

Current Events --- Tata Trust desires to work in health services sector in Rajasthan

Tata Trust Chairman Ratan N Tata on Wednesday met to Rajasthan Chief Minister Vasundhara Raje and expressed his trust's desires to work in health services sector in the state, especially in 'mother and child care'.

Tata expressed special desire to work for "mother and child health" sector in different states, and want to first begin in Rajasthan. Raje and Tata held a special meeting at CMO (Chief Minister's Office) in Jaipur, in which Rajasthan Medical and Health Minister Rajendra Rathore, Rajiv Mahrishi, chief secretary and CS Rajan, Additional CS Infrastructure were also present. The official of Tata Trust Shri Ashok Alexander made a presentation for their proposal.

Tata desired to make Rajasthan a model state in 'mother and child health' care, and later it would be adopted in other states with the governments' support and collaboration.

Chief Minister Vasundhara Raje apprised the Tata Trust Chairman's desire and told, "If the government and private sector jointly work in health sector then a goal related to 'millennium development' be achieved. We hope with Tata Trust the Rajasthan government could attain it very easily". Her government's priority was to improve medical and health care in systematic fashion so that common man should get its benefit. Raje said the infant mortality rate in Rajasthan was still on higher side and posing challenge to the government. Reducing maternal mortality rate (specially of pregnant women) was too a big task for the government, and for it special training programme for para-medical staff was being taken up.

स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में काम करने हेतु मुख्यमंत्री से मिले टाटा ट्रस्ट के चेयरमेन श्री रतन टाटा

मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे से बुधवार 4 जून, 2014 को मुख्यमंत्री कार्यालय में टाटा ट्रस्ट के चेयरमेन श्री रतन एन. टाटा ने मुलाकात की। मुलाकात के दौरान उन्होंने राजस्थान में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर एवं प्रभावी तरीके से आमजन तक पहुंचाने के लिए राज्य सरकार के साथ मिलकर काम करने की इच्छा व्यक्त की।

टाटा की विशेष इच्छा है कि विभिन्न प्रदेशों में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में उनका ट्रस्ट काम करे। इसकी शुरूआत वे राजस्थान से करना चाहते हैं और राजस्थान को अन्य प्रदेशों के लिये मॉडल बनाना चाहते हैं। इसके बाद वे देश के अन्य प्रदेशों में राजस्थान मॉडल के आधार पर ही वहां की सरकारों के साथ मिलकर काम करेंगे।

चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार और निजी क्षेत्र आपस में सहभागिता के साथ मिलकर काम करें तो प्रदेश में मिलेनियम डवलपमेंट से जुड़े लक्ष्य हासिल किये जा सकते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि टाटा ट्रस्ट के सहयोग से राज्य सरकार मातृ एवं शिशु मृत्यु दर के संबंध में तय लक्ष्य हासिल करेगी। बैठक में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री राजेन्द्र राठौड़, मुख्य सचिव श्री राजीव महर्षि, अतिरिक्त मुख्य सचिव इन्फ्रास्ट्रक्चर श्री सी.एस.राजन भी उपस्थित थे। इस अवसर पर टाटा ट्रस्ट की ओर से श्री अशोक अलक्जेण्डर ने प्रस्तुतीकरण दिया।

श्रीमती राजे ने कहा कि जीवन स्तर में सुधार और आजीविका के नये साधनों को विकसित करने के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर एवं प्रभावी तरीके से आमजन की पहुंच में लाकर राजस्थान को मानव विकास सूचकांक की दृष्टि से ऊपर उठाना उनकी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में नवजात शिशु मृत्यु दर अभी भी काफी चुनौतीपूर्ण है। शिशु मृत्यु दर के साथ मातृ मृत्यु दर में कमी लाने के लिये गर्भवती महिलाओं के नियमित चैकअप तथा नर्सिंग एवं पैरामेडिकल स्टाफ को विशेष प्रशिक्षण देने जैसे कदम उठाये जा रहे हैं।

Comments

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली