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Showing posts from August, 2013

***सात हस्तियों को दिया जाएगा राजस्थान रत्न***

राज्य सरकार ने 7 विभूतियों को राजस्थान रत्न सम्मान देने की घोषणा की है। इस वर्ष यह सम्मान निम्नांकित को दिया जाएगा 1. समाजसेवा के लिए डी.आर. मेहता (जयपुर फुट के जनक, पद्म भूषण तथा राजीव गांधी सद्भावना पुरस्कार से सम्मानित) 2. कानून एवं न्याय के लिए स्व. नगेन्द्र सिंह (अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में न्यायाधीश रहे, पद्म विभूषण से सम्मानित) 3. पर्यावरण संरक्षण के लिए स्व. कैलाश सांखला (प्रदेश के प्रमुख पर्यावरण विद तथा प्रोजेक्ट टाइगर के प्रणेता, 1992 में पद्म श्री सम्मानित) 4. कला के लिए पंडित रामनारायण (विश्व विख्यात सारंगी वादक, पद्म श्री, पद्म भूषण व पद्म विभूषण से सम्मानित) 5. कला एवं साहित्य के लिए स्व. हसरत जयपुरी (विशिष्ठ फिल्म गीत लेखक, श्रेष्ठ संगीत के लिए दो बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित) 6. रेडियो व दूरदर्शन में लोकप्रियता के लिए जसदेव सिंह (स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस पर 40 वर्षों से कमेंटेटर, पद्मश्री तथा पद्म भूषण से सम्मानित) 7. लोक संगीत के क्षेत्र में स्व. गवरी देवी (लोकप्रिय गायिका व राजस्थान के लोक संगीत को उंचाईयों तक पहुंचाया) भविष्य में राजस्थान

राजस्थान के प्रसिद्ध ऐतिहासिक दुर्ग

आमेर का कछवाहा वंश-

 1 . कछवाहा वंश राजस्थान के इतिहास मंच पर बारहवीं सदी से दिखाई देता है। उनको प्रारम्भ में मीणों और बड़गुर्जरों का सामना करना पड़ा था। इस वंश के प्रारम्भिक शासकों में दुल्हराय व पृथ्वीराज बडे़ प्रभावशाली थे जिन्होंने दौसा, रामगढ़, खोह, झोटवाड़ा, गेटोर तथा आमेर को अपने राज्य में सम्मिलित किया था। पृथ्वीराज, राणा सांगा का सामन्त होने के नाते खानवा के युद्ध (1527) में बाबर के विरुद्ध लड़ा था। पृथ्वीराज की मृत्यु के बाद कछवाहों की स्थिति संतोषजनक नहीं थी। गृहकलह तथा अयोग्य शासकों से राज्य निर्बल हो रहा था। 1547 में भारमल ने आमेर की बागडोर हाथ में ली। भारमल ने उदीयमान अकबर की शक्ति का महत्त्व समझा और 1562 में उसने अकबर की अधीनता स्वीकार कर अपनी ज्येष्ठ पुत्री हरकूबाई का विवाह अकबर के साथ कर दिया। अकबर की यह बेगम मरियम-उज्जमानी के नाम से विख्यात हुई। भारमल पहला राजपूत था जिसने मुगल से वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किये थे। 2.   भारमल के