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Showing posts from January, 2011

राजस्थान के रीति-रिवाज

आठवाँ पूजन स्त्री के गर्भवती होने के सात माह पूरे कर लेती है तब इष्ट देव का पूजन किया जाता है और प्रीतिभोज किया जाता है। पनघट पूजन या जलमा पूजन बच्चे के जन्म के कुछ दिनों पश्चात (सवा माह बाद) पनघट पूजन या कुआँ पूजन की रस्म की जाती है इसे जलमा पूजन भी कहते हैं। आख्या बालक के जन्म के आठवें दिन बहने जच्चा को आख्या करती है और एक मांगलिक चिह्न 'साथिया' भेंट करती है। जड़ूला उतारना जब बालक दो या तीन वर्ष का हो जाता है तो उसके बाल उतराए जाते हैं। वस्तुतः मुंडन संस्कार को ही जडूला कहते हैं। सगाई वधू पक्ष की ओर से संबंध तय होने पर सामर्थ्य अनुसार शगुन के रुपये तथा नारियल दिया जाता है। बिनौरा सगे संबंधी व गाँव के अन्य लोग अपने घरों में वर या वधू तथा उसके परिवार को बुला कर भोजन कराते हैं जिसे बिनौरा कहते हैं। तोरण यह जब बारात लेकर कन्या के घर पहुँचता है तो घोड़ी पर बैठे हुए ही घर के दरवाजे पर बँधे हुए तोरण को तलवार से छूता है जिसे तोरण मारना कहते हैं। तोरण एक प्रकार का मांगलिक चिह्न है। खेतपाल पूजन राजस्थान में विवाह का कार्यक्रम आठ दस दिनों पूर्व ही प्रारंभ हो जाते हैं

राजस्थान की खारे पानी की झीले

1. साँभर झील - यह राजस्थान की सबसे बड़ी झील है। यहाँ उत्पादित नमक उत्तम किस्म का होता है। यहाँ राज्य के कुल उत्पादन का 80 प्रतिशत नमक उत्पन्न किया जाता है। इसका अपवाह क्षेत्र लगभग 500 वर्ग किमी में फैला है जिसमे रूपनगढ़, खारी व खंडेला आदि नदियाँ आकर मिलती है। यह झील दक्षिण-पूर्व से उत्तर-पश्चिम की ओर लगभग 32 किमी लंबी तथा 3 से 12 किमी तक चौड़ी है। ग्रीष्मकाल में वाष्पीकरण की तीव्र दर से होने के कारण इसका आकार बहुत कम रह जाता है। इस झील में प्रतिवर्ग किमी क्षेत्र में 6000 टन नमक होने का अनुमान है। इसका क्षेत्रफल लगभग 140 वर्ग किमी है। इसके पानी से नमक बनाया जाता है। यहां नमक उत्पादन सांभर साल्ट्स लिमिटेड द्वारा किया जाता है जिसकी स्थापना 1964 में की गई थी। यहां सोडियम सल्फेट संयंत्र स्थापित किया गया है जिससे 50 टन सोडियम सल्फेट प्रतिदिन बनाया जाता है। यह झील जयपुर व नागौर जिले की सीमा पर स्थित है तथा यह जयपुर की फुलेरा तहसील में जयपुर से लगभग 60 किमी दूर है। 2. डीडवाना झील - यह नागौर जिले के डीडवाना नगर के समीप स्थित है। यह 10 वर्ग किमी में फैली है। इससे राजस्थान स्टेट साल्ट्स

राजस्थान सामान्य ज्ञान - आज की क्विज 31.1.2011

1. किस नागवंशीय जाट लोकदेवता ने मेर लुटेरों से गाय छुडाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी? उ. तेजाजी ने 2. राणी सती माता-झुंझुनूं का वास्तविक नाम क्या था? उ. नारायणी 3. आईमाता ( बिलाडा-जोधपुर ) किस लोकदेवता की शिष्या थी? उ. रामदेव जी की 4. राजसमंद झील के किनारे नौ-चौकी पाल पर किस लोक देवी का मंदिर बना है? उ. घेवर माता का 5. कौनसे लोकदेवता राजस्थान के गाँव गाँव में भूमि रक्षक देवता के रूप में पूजे जाते हैं? उ. भोमिया जी 6. शीतला माता का प्रसिद्ध मंदिर कहाँ स्थित है? उ. चाकसू जयपुर में 7. लोकदेवता हड़बूजी किस शासक के समकालीन थे? उ. राव जोधा के 8. लोक देवता तेजाजी की घोड़ी का नाम क्या था? उ. लीलड़ी 9. देवनारायण जी की फड़ किस जाति के भोपों द्वारा बाँची जाती है? उ. गुर्जर जाति के द्वारा 10. किस लोक संत ने ब्रज चरित्र और धर्म जहाज पुस्तकों की रचना की थी? उ. चरणदासजी ने

राजस्थान के तीर्थ स्थल - 4

त्रिपुरा सुंदरी बाँसवाड़ा राजस्थान में बाँसवाड़ा से लगभग 14 किमी दूर तलवाड़ा गाँव से मात्र 5 किमी की दूरी पर उमराई के छोटे से ग्राम में माता त्रिपुर सुंदरी प्रतिष्ठित है। यह मंदिर तीसरी सदी से भी प्राचीन माना जाता है। इस मंदिर का जीर्णोद्धार तीसरी शती के आस-पास पांचाल जाति के चांदा भाई लुहार ने करवाया था। मंदिर के समीप ही भागी (फटी) खदान है, जहाँ किसी समय लौह उत्खनन की खदान हुआ करती थी। यह मंदिर भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। देवी त्रिपुरा के गर्भगृह में सिंहवाहिनी देवी की विविध आयुध से युक्त अठारह भुजाओं वाली काले रंग की तेजयुक्त आकर्षक मूर्ति है। पास ही नौ-दस छोटी मूर्तियां है जिन्हें दस महाविद्या अथवा नव दुर्गा कहा जाता है। मूर्ति के नीचे के भाग के संगमरमर के काले व चमकीले पत्थर पर श्रीयंत्र उत्कीर्ण है, जिसका भी अपना विशेष महत्व है। गुजरात, मालवा और मेवाड़ के राजा त्रिपुरा सुन्दरी के उपासक थे। गुजरात के सोलंकी राजा सिद्धराज जयसिंह की यह इष्ट देवी रही है। यहाँ दोनों ही नवरात्रियों में विशाल मेला सकता है। सकराय या शाकम्भरी माता झुंझनूँ सुरम्य घाटियों के बीच बन

आज की क्विज 30.1.2011

1. गैर, गवरी, राई, युद्ध, द्विचकी आदि किस जनजाति के लोकनृत्य है? उ. भील 2. इंडोणी, शंकरिया, पणिहारी तथा बागडया किस जाति द्वारा किए जाने वाले नृत्य है? उ. कालबेलिया जाति द्वारा (ये सब कालबेलिया नृत्य के ही प्रकार हैं) 3. राज्य की कामड़ जाति के महिला व पुरूषों द्वारा बाबा रामदेव की आराधना में किया जाने वाला नृत्य का नाम क्या है जिसमें तेरह मंजीरों का उपयोग किया जाता है? उ. तेरहताली नृत्य 4. बम नृत्य किस क्षेत्र का प्रसिद्ध लोक नृत्य है? उ. भरतपुर तथा अलवर का 5. बिदौरी नृत्य किस जिले का प्रमुख नृत्य है? उ. झालावाड का 6. भवाई जाति द्वारा किया जाने वाला भवाई नृत्य किस संभाग का नृत्य है? उ. उदयपुर संभाग का 7. जसनाथी सम्प्रदाय का प्रसिद्ध लोकनृत्य क्या है? उ. अग्नि नृत्य 8. गींदड, चंग व ढप नृत्य किस क्षेत्र के लोक नृत्य है? उ. शेखावाटी क्षेत्र 9. चरी नृत्य (किशनगढ़ क्षेत्र) मूलतः किस जाति का नृत्य है? उ. गुर्जर जाति का 10. मेव जाति द्वारा किए जाने वाले लोक नृत्यों के नाम क्या हैं? उ. रणवाजा व रतवई नृत्य 11. मावलिया तथा होली नृत्य किस जनजाति के लोकनृत्य है

आज की क्विज 29.01.2011

1. जीणमाता का मंदिर किस जिले में है? उ. सीकर 2. पुष्टिमार्गीय वैष्णव संप्रदाय की प्रधान पीठ कहाँ है? उ.  नाथद्वारा 3. किस लोक देवता को जाहर पीर कहा जाता है? उ. गोगाजी 4. चूहों की देवी के रूप में प्रसिद्ध है? उ. करणीमाता देशनोक बीकानेर 5. लांगुरिया गीत किस मंदिर में गाए जाते हैं? उ. केलादेवी मंदिर करौली में 6. कौनसा मेला आदिवासियों के कुंभ के रूप में जाना जाता है? उ. वेणेश्वर मेला डूंगरपुर 7. गालव ऋषि के आश्रम के रूप में राजस्थान का कौनसा तीर्थ स्थित जाना जाता है? उ. गलता जी जयपुर 8. रुणीजा गाँव में कौनसे लोक देवता का मंदिर है? उ. बाबा रामदेवजी 9. सालासर बालाजी का धाम किस जिले में है? उ. चुरू जिले में 10. कौनसे जैन तीर्थंकर को उदयपुर जिले के आदिवासी काला बाबा के नाम से पूजते हैं? उ. ऋषभदेव को

Rivers of Rajasthan–1
राजस्थान की नदियाँ--

Chambal Basin’s Rivers of Rajasthan-  राजस्थान में चम्बल बेसिन की नदियाँ-   1. Chambal River - The ancient name of this river is ‘Charmawati’. This is also called ‘Kamdhenu’ at some places. River Chambal is a principal tributary of river Yamuna. It originates in the Vindhyan ranges near Mhow in Indore District of Madhya Pradesh. The river flows for some 320 km in a generally northerly direction before entering a deep gorge in Rajasthan at Chourasigarh, about 96 km upstream of Kota. The deep gorge extends up to Kota and the river then flows for about 226 km in Rajasthan in a north-easterly direction, and then forms the boundary between MP and Rajasthan for about 252 km. Thereafter, the river forms the boundary between MP and UP for about 117 km, enters UP near Charak Nagar village and flows for about 40 km before joining river Yamuna. This river forms a famous waterfall ‘Chuliya-Waterfall’ near Bhensrodgadh (Chittorgarh). This is Raj