Skip to main content

राजस्थान समसामयिक घटनाचक्र

पाली में ट्रीटमेंट प्लांट में गैस रिसाव

औद्योगिक शहर पाली में पुनायता रोड स्थित प्रदूषित जल परिशोधन संयंत्र (ट्रीटमेंट प्लांट) के एक हौज में सफाई हेतु उतरे दो श्रमिकों की दिनांक 7 जून को जहरीली गैस से मौत हो गई। इन श्रमिकों को बचाने के लिए उतरे दस अन्य श्रमिक भी गैस रिसाब की वजह से अचेत हो गए। बताया जाता है कि पुनायता रोड औद्योगिक क्षेत्र के उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषित पानी को स्वच्छ करने के लिए चल रहे तीन नंबर के प्लांट में बने एक हौज में पाइप जाम होने से बंद हो गया था और इसे साफ करने उतरे दो श्रमिक प्रेमसिंह और सुरेश खटीक जहरीली गैस से बेहोश होकर पानी में डूब गए। उन्हें बचाने के लिए हौज में उतरे श्रमिकों में से दस अन्य श्रमिक गैस की वजह से अचेत हो गए।
इनका बांगड़ अस्पताल में उपचार चल रहा है। यह प्लांट राज्य सरकार के जल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अंतर्गत चलाया जा रहा है। इस ट्रीटमेंट प्लांट में सोलह वर्ष पूर्व एक जून 1995 को भी इसी तरह का हादसा हुआ था, जिसमें नौ लोगों की मौत हो गई थी।

डॉ. चंद्रभान बने कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष-

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष डॉ. चंद्रभान को केंद्रीय मंत्री डॉ. सीपी जोशी के स्थान पर कांग्रेस का नया प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
डॉ. चंद्रभान का जन्म 6 मई 1952 को झूंझुनू जिले के जयसिंहपुरा गांव में हुआ तथा वे एमबीबीएस की शिक्षा ग्रहण कर डॉक्टर बने।
श्री चंद्रभान ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत जनता दल से की थी तथा वे 1989 में भैरोंसिंह शेखावत के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री भी रहे थे। बाद में वे कांग्रेस में आ गए। वे कांग्रेस पार्टी में प्रदेश महामंत्री और उपाध्यक्ष रह चुके हैं। वे अशोक गहलोत के पूर्व कार्यकाल में भी कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।

शिक्षा विभाग की भर्तियों में इंटरव्यू समाप्त करने पर विचार-

राज्य सरकार शिक्षा विभाग में प्रधानाध्यापक, व्याख्याता सहित अन्य पदों के लिए लिखित परीक्षा के बाद होने वाले इंटरव्यू की व्यवस्था समाप्त कर इन पदों के लिए मैरिट का निर्धारण सिर्फ लिखित परीक्षा के आधार पर करने पर विचार कर रही है। ऐसा राज्य सरकार विभाग की भर्तियों में इंटरव्यू के कारण हो रही देरी को देखते हुए करना चाहती है। राज्य सरकार ने शिक्षा विभाग में भविष्य में होने वाली भर्तियों में केवल लिखित परीक्षा की प्रक्रिया को अपनाने के लिए राजस्थान लोक सेवा आयोग से सिफारिश की है।

राज्य का पहला मिल्क पाउडर कारखाना प्रारंभ होगा कोटा में

राज्य का निजी क्षेत्र का प्रथम मिल्क पाउडर बनाने का कारखाना कोटा के एग्रोफूड पार्क में चालू होने की तैयारी हो चुकी है। शिव एडिबल प्रा. लि. का 35 करोड़ रुपए की लागत का यह कारखाना 15 जुलाई तक प्रारंभ होने की उम्मीद है। जिससे करीब 10 हजार लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।
फैक्टरी प्रबंधन के अनुसार-

> इस कारखाने के संचालन के लिए प्रतिदिन करीब दो लाख लीटर दूध की जरूरत होगी, जिसमें एक लाख लीटर दूध से 8 टन मिल्क पाउडर बनाया जाएगा तथा एक लाख लीटर लिक्विड दूध से पनीर, छाछ, मक्खन और शुद्ध घी तैयार किया जाएगा।
> इस ऑटोमेटिक प्लांट में एक लाख लीटर दूध से रोजाना आठ टन पाउडर बनेगा। गाय के एक लीटर दूध में 8 से 8.5 प्रतिशत एसएनएफ (S.N.F.) होता है। इसके आधार पर ही दूध के पाउडर की मात्रा तय होती है।
> लगभग 30 हजार वर्गमीटर क्षेत्रफल में फैले इस कारखाने में बनने वाले मिल्क पाउडर की आपूर्ति पूरे राजस्थान में होगी जबकि लिक्विड दूध, छाछ, पनीर एवं शुद्ध घी की सप्लाई हाड़ौती संभाग के चारों जिलों में की जाएगी।
> इस फैक्ट्री चलाने के लिए आवश्यक दो लाख लीटर दूध की आपूर्ति के लिए किसानों को बाजार दर से 15 प्रतिशत कीमत अधिक दी जाएगी।


क्या होता है SNF?

दूध के दो भाग होते हैं-
1. वसा
2. SNF

SNF का विस्तार Solid Not Fat अर्थात् वसा के अलावा जो ठोस पदार्थ दूध में मौजूद होते हैं, जैसे विटामिन, खनिज लवण, प्रोटीन, शर्करा आदि मिल कर SNF बताते हैं।

Comments

Popular posts from this blog

Baba Mohan Ram Mandir and Kali Kholi Dham Holi Mela

Baba Mohan Ram Mandir, Bhiwadi - बाबा मोहनराम मंदिर, भिवाड़ी साढ़े तीन सौ साल से आस्था का केंद्र हैं बाबा मोहनराम बाबा मोहनराम की तपोभूमि जिला अलवर में भिवाड़ी से 2 किलोमीटर दूर मिलकपुर गुर्जर गांव में है। बाबा मोहनराम का मंदिर गांव मिलकपुर के ''काली खोली''  में स्थित है। काली खोली वह जगह है जहां बाबा मोहन राम रहते हैं। मंदिर साल भर के दौरान, यात्रा के दौरान खुला रहता है। य ह पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है और 4-5 किमी की दूरी से देखा जा सकता है। खोली में बाबा मोहन राम के दर्शन के लिए आने वाली यात्रियों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा “अखण्ड ज्योति” जलती रहती है । मुख्य मेला साल में दो बार होली और रक्षाबंधन की दूज को भरता है। धूलंड़ी दोज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा मोहन राम जी की ज्योत के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले में कई लोग मिलकपुर मंदिर से दंडौती लगाते हुए काली खोल मंदिर जाते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित एक पेड़ पर कलावा बांधकर मनौती मांगते हैं। इसके अलावा हर माह की दूज पर भी यह मेला भरता है, जिसमें बाबा की ज्योत के दर्शन करन

राजस्थान का प्रसिद्ध हुरडा सम्मेलन - 17 जुलाई 1734

हुरडा सम्मेलन कब आयोजित हुआ था- मराठा शक्ति पर अंकुश लगाने तथा राजपूताना पर मराठों के संभावित आक्रमण को रोकने के लिए जयपुर के सवाई जयसिंह के प्रयासों से 17 जुलाई 1734 ई. को हुरडा (भीलवाडा) नामक स्थान पर राजपूताना के शासकों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसे इतिहास में हुरडा सम्मेलन के नाम  जाता है।   हुरडा सम्मेलन जयपुर के सवाई जयसिंह , बीकानेर के जोरावर सिंह , कोटा के दुर्जनसाल , जोधपुर के अभयसिंह , नागौर के बख्तसिंह, बूंदी के दलेलसिंह , करौली के गोपालदास , किशनगढ के राजसिंह के अलावा के अतिरिक्त मध्य भारत के राज्यों रतलाम, शिवपुरी, इडर, गौड़ एवं अन्य राजपूत राजाओं ने भाग लिया था।   हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता किसने की थी- हुरडा सम्मेलन की अध्यक्षता मेवाड महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने की।     हुरडा सम्मेलन में एक प्रतिज्ञापत्र (अहदनामा) तैयार किया गया, जिसके अनुसार सभी शासक एकता बनाये रखेंगे। एक का अपमान सभी का अपमान समझा जायेगा , कोई राज्य, दूसरे राज्य के विद्रोही को अपने राज्य में शरण नही देगा ।   वर्षा ऋतु के बाद मराठों के विरूद्ध क

Civilization of Kalibanga- कालीबंगा की सभ्यता-
History of Rajasthan

कालीबंगा टीला कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी ) के बाएं शुष्क तट पर स्थित है। कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का काल 3000 ई . पू . माना जाता है , किन्तु कालांतर में प्राकृतिक विषमताओं एवं विक्षोभों के कारण ये सभ्यता नष्ट हो गई । 1953 ई . में कालीबंगा की खोज का पुरातत्वविद् श्री ए . घोष ( अमलानंद घोष ) को जाता है । इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 19 61 से 1969 के मध्य ' श्री बी . बी . लाल ' , ' श्री बी . के . थापर ' , ' श्री डी . खरे ', के . एम . श्रीवास्तव एवं ' श्री एस . पी . श्रीवास्तव ' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था । कालीबंगा की खुदाई में प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इस उत्खनन से कालीबंगा ' आमरी , हड़प्पा व कोट दिजी ' ( सभी पाकिस्तान में ) के पश्चात हड़प्पा काल की सभ्यता का चतुर्थ स्थल बन गया। 1983 में काली