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महिला विकास में प्रचेताओं की भूमिका

महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा प्रत्येक पंचायत समिति स्तर पर एक प्रचेता नियुक्त की जाती है, जिसके मुख्य कार्य निम्न प्रकार से है–

प्रचेता के उत्तरदायित्व एवं कार्य–

प्रचेता शब्द का अर्थ ज्ञानवान एवं कार्य के प्रति समर्पित महिला है। महिला अधिकारिता की यह प्रमुख प्रेरक है, जो पंचायत समिति/ब्लॉक स्तर पर नियुक्त होती है। प्रचेता ग्राम पंचायत पर महिला समिति के माध्यम से साथिन का चयन करवाती है। साथिन के हर कार्य में मार्गदर्शन, मदद, सहयोग एवं कार्य संयोजन करती है। महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए पंचायती राज विभाग, आई. सी. डी. एस. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, स्वयंसेवी संस्थान से समन्वय स्थापित करते हुए महिलाओं को सशक्तीकरण के विभिन्न आयामों से जोड़ने का कार्य करती है।

प्रचेता अपने क्षेत्र में निम्नलिखित कार्य करती है:–

1. महिला विकास केन्द्र की स्थापना के लिए ग्राम पंचायतों के साथ विचार–विमर्श करके उपयुक्त स्थान का चयन करना तथा महिला विकास केन्द्र के क्रियान्वयन की गुणवत्ता बनाए रखने में साथिन की मदद करना।

2. ग्रामीण महिलाओं की आवश्यकता को देखते हुए उन्हें विभागीय योजनाओं का लाभ दिलाना सुनिश्चित करवाना।

3. स्वयं सहायता समूहों का गठन करवाना एवं उनके सुदृढ़ीकरण के लिए उन्हें आयजनक गतिविधियों से जोड़कर महिलाओं का आर्थिक स्तर ऊंचा उठाना।

4. साथिनों के कार्य का परिवीक्षण करते हुए उन्हें सही दिशा–निर्देशों के बारे में समझाकर उनकी कार्यकुशलता को बढ़ाना।

5. जाजम बैठकों का आयोजन करवा कर क्षेत्र की महिलाओं के मुद्दों को अपने स्तर पर सुलझाना तथा गम्भीर मुद्दों को जिला महिला सहायता समिति तक पहुँचाना सुनिश्चित करना।

6. विभिन्न प्रकार की हिंसाओं से जूझ रही महिलाओं को राहत प्रदान करने के लिए साथिन के साथ समझाईश का कार्य करना तथा उन्हें मुफ्त कानूनी सहायता/ पुर्नवास/आर्थिक सहायता उपलब्ध कराते हुए हिंसा करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही करवाया जाना सुनिश्चित करना।

7. घरेलू हिंसा/ बाल विवाह/ दहेज प्रथा/ डायन प्रथा/ नाता प्रथा/भ्रूण हत्या/ लिंग भेद/ कामकाजी महिलाओं का यौन उत्पीड़न संबंधित प्रकरणों के खिलाफ प्रचार–प्रसार करते हुए जनसमुदाय को जागृत करना।

8. किशोरी शक्ति योजना के सफल क्रियान्वयन में साथिन की मदद करना।

9. साथिन एवं परियोजना निदेशक के बीच में कड़ी का कार्य करना।

10. विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षणों की आवश्यकता को सुनिश्चित करते हुए परियोजना निदेशक को अवगत कराना।

11. महिलाओं के सशक्तिकरण हेतु परियोजना निदेशक के मार्गदर्शन में कार्ययोजना तैयार करना।

12. ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं की स्थिति का विश्लेषण कर परियोजना निदेशक को अवगत कराना।

13. व्यक्तिगत स्वच्छता, घर की स्वच्छता, पर्यावरण स्वच्छता, जल स्वच्छता, कूड़े–कचरे का निष्पादन से जुड़े स्वच्छता के घटकों के बारे महिलाओं को जागृत करते हुए उनकी स्वच्छ आदतों का विकास सुनिश्चित करना।

14. साथिनों द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट का संकलन कर जिला महिला विकास अभिकरण को प्रस्तुत करना।

15. साथिनों की उपस्थिति प्रमाणित कर जिला महिला विकास अभिकरण को भिजवाना।

16. सामूहिक विवाहों को प्रोत्साहित करने के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं एवं समुदाय में जागृति पैदा करना।

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